सेहत खजाना

मेंटल हेल्थ के लिए जादू हैं ये 3 बातें – रोज़ खुद से कहेंगे तो बदलेगा सोचने का नजरिया

ये तीन छोटे लेकिन प्रभावशाली वाक्य न सिर्फ आपके Mental Health को बेहतर बनाएंगे, बल्कि आपकी सोच, ऊर्जा और आत्मविश्वास को भी नया आयाम देंगे। जानिए वो मंत्र जो आपकी ज़िंदगी में सकारात्मक क्रांति ला सकते हैं – सिर्फ शब्दों से।

By Divya Pawanr
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मेंटल हेल्थ (Mental Health) हमारे जीवन की वह नींव है जिस पर हमारी सोच, व्यवहार और निर्णय क्षमता टिकती है। आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में अगर कोई चीज़ सबसे ज़्यादा नजरअंदाज़ होती है, तो वह है हमारा मानसिक संतुलन। जब तक मन शांत नहीं, तब तक जीवन में स्थायित्व और संतुलन असंभव है। ऐसे में रोज़ खुद से कुछ बेहद साधारण लेकिन गहराई लिए हुए वाक्य कहना मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में जादू की तरह काम करता है।

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“मैं अपने जीवन में सकारात्मकता को स्वीकार करता/करती हूँ”

यह एक ऐसा वाक्य है जो न केवल आपके सोचने का नजरिया बदलता है, बल्कि आपको हर परिस्थिति में सकारात्मक पहलू खोजने की आदत भी सिखाता है। जब आप रोज़ सुबह उठकर या सोने से पहले खुद से यह कहते हैं कि आप सकारात्मकता को स्वीकार करते हैं, तो मस्तिष्क धीरे-धीरे उसी दिशा में ढलने लगता है। इस अभ्यास से आपका माइंडसेट प्रॉब्लम-सेंट्रिक से सॉल्यूशन-सेंट्रिक बनने लगता है। यह एक तरह से माइंड को रीप्रोग्राम करने जैसा है, जिससे आप तनावपूर्ण स्थितियों को भी आत्मविश्वास से देख पाते हैं।

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“मैं चुनौतियों का सामना करने में सक्षम हूँ”

जिंदगी में जब भी कोई चुनौती सामने आती है, तो हमारा पहला रिएक्शन होता है डर या असमंजस। लेकिन जब आप अपने भीतर रोज़ यह दोहराते हैं कि आप सक्षम हैं, तो वह वाक्य धीरे-धीरे आपकी सोच और भावनाओं का हिस्सा बन जाता है। यह वाक्य आपको मुश्किल समय में टूटने नहीं देता, बल्कि हर परिस्थिति में लड़ने की हिम्मत देता है। खासकर जब आप किसी मानसिक दबाव या Burnout से गुज़र रहे हों, तब यह वाक्य आपके लिए एक मजबूत ढाल की तरह काम करता है।

“मैं अपने आप को स्वीकार करता/करती हूँ जैसे मैं हूँ”

यह शायद सबसे ज़रूरी बात है जो हम खुद से कह सकते हैं, क्योंकि कई बार हमारा सबसे बड़ा दुश्मन खुद हमारा अपना मन होता है। दूसरों से तुलना, आत्म-आलोचना और खुद को कमतर आंकने की आदत मानसिक असंतुलन का बड़ा कारण बनती है। जब आप खुद से रोज़ कहते हैं कि आप जैसे हैं, वैसे ही पर्याप्त हैं, तो धीरे-धीरे आपके भीतर का तनाव घटने लगता है और आत्म-समर्पण की भावना विकसित होती है। यह मानसिक शांति पाने का पहला और सबसे ठोस कदम है।

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