
त्वचा को गोरा बनाने की चाहत में लोग अक्सर ब्लीचिंग-Bleaching और स्किन लाइटनिंग प्रोडक्ट्स-Skin Lightening Products का सहारा लेते हैं। लेकिन इस अंधी दौड़ में वे यह भूल जाते हैं कि इनके पीछे छुपे रसायन शरीर को अंदर तक नुकसान पहुँचा सकते हैं। हाल ही में विश्व स्वास्थ्य संगठन-WHO ने इस मुद्दे पर चेतावनी जारी करते हुए कहा है कि ऐसे उत्पाद जिनमें पारा (Mercury), हाइड्रोक्विनोन (Hydroquinone) और स्टेरॉयड्स होते हैं, वे न केवल त्वचा को क्षति पहुँचाते हैं, बल्कि दीर्घकालीन स्वास्थ्य समस्याओं को भी जन्म दे सकते हैं।
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WHO की सख्त चेतावनी
WHO की रिपोर्ट में यह स्पष्ट किया गया है कि पारे युक्त ब्यूटी प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल कई देशों में पूरी तरह प्रतिबंधित है। ये उत्पाद त्वचा के मेलानिन उत्पादन को बाधित कर गोरेपन का आभास तो देते हैं, लेकिन इसके पीछे की हकीकत बेहद खतरनाक होती है। पारा न केवल त्वचा बल्कि गुर्दे और तंत्रिका तंत्र को भी गंभीर रूप से प्रभावित करता है। गर्भवती महिलाओं और छोटे बच्चों के लिए इसका प्रभाव और भी भयावह हो सकता है।
हाइड्रोक्विनोन और स्टेरॉयड्स से होने वाले खतरे
बाजार में मिलने वाले कई स्किन व्हाइटनिंग क्रीम्स में हाइड्रोक्विनोन और टॉपिकल स्टेरॉयड्स शामिल होते हैं। इनका अधिक इस्तेमाल त्वचा को पतला और संवेदनशील बना देता है, जिससे रैशेज़, जलन और स्थायी दाग-धब्बे हो सकते हैं। अमेरिका की FDA ने तो ऐसे ओवर-द-काउंटर उत्पादों पर प्रतिबंध तक लगा दिया है, जिससे इनके दुष्प्रभाव की गंभीरता को समझा जा सकता है।
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सौंदर्य की चाहत या सामाजिक दबाव?
भारत समेत कई देशों में गोरे रंग को सुंदरता और सफलता का प्रतीक मानने की प्रवृत्ति समाज में गहराई से जड़ें जमा चुकी है। इस मानसिकता के चलते लोग खुद पर ऐसे रासायनिक उत्पादों का प्रयोग करने लगते हैं, जिनका दीर्घकालीन प्रभाव उनकी त्वचा और आत्म-सम्मान दोनों को प्रभावित करता है। यह एक प्रकार का रंगभेद-Colorism है, जो व्यक्ति की आंतरिक सुंदरता को नकारता है और बाहरी आभा को प्राथमिकता देता है।
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क्या हैं सुरक्षित और प्राकृतिक विकल्प?
त्वचा की देखभाल के लिए एलोवेरा-Aloe Vera, नीम-Neem, हल्दी-Turmeric जैसे प्राकृतिक विकल्पों को अपनाया जा सकता है। इनके कोई साइड इफेक्ट नहीं होते और ये त्वचा को भीतर से स्वस्थ बनाते हैं। किसी भी स्किन लाइटनिंग प्रोडक्ट का उपयोग करने से पहले त्वचा विशेषज्ञ-Dermatologist से सलाह लेना बेहद जरूरी है। इसके अलावा, उत्पाद की सामग्री की पूरी जानकारी लेना और हानिकारक रसायनों से युक्त उत्पादों से दूर रहना एक समझदारी भरा कदम है।