
मोबाइल स्क्रीन से आंखों की रोशनी कम हो रही है—यह बात अब सिर्फ एक चेतावनी नहीं, बल्कि लाखों लोगों के लिए एक वास्तविक स्वास्थ्य समस्या बन चुकी है। डिजिटल युग में हम औसतन 6-8 घंटे मोबाइल या लैपटॉप स्क्रीन पर बिता रहे हैं, जिससे Vision Problems, आंखों की थकावट और निकट दृष्टि दोष (Myopia) के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। लेकिन अच्छी बात यह है कि कुछ प्राकृतिक उपायों और जीवनशैली में छोटे बदलावों से आंखों की रोशनी को फिर से बेहतर किया जा सकता है।
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डिजिटल स्क्रीन और आंखों की सेहत के बीच संबंध

आज के समय में बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक हर कोई मोबाइल या टैबलेट का उपयोग कर रहा है। लेकिन जब आप घंटों तक बिना पलक झपकाए स्क्रीन को घूरते हैं, तो यह आपकी आंखों के लिए बिल्कुल वैसा ही है जैसे शरीर के लिए बिना ब्रेक के लगातार वर्कआउट करना। इससे Digital Eye Strain, जलन, धुंधलापन और आंखों में सूखापन जैसे लक्षण विकसित होते हैं। विशेष रूप से मोबाइल से निकलने वाली Blue Light आंखों की Retina को प्रभावित कर सकती है और लम्बे समय में दृष्टि क्षमता को कमजोर बना सकती है।
आंखों की रोशनी बढ़ाने में आहार की भूमिका
स्वस्थ Vision के लिए सबसे जरूरी है पोषण युक्त आहार। आंखों की रोशनी को बनाए रखने के लिए गाजर, पालक, ब्रोकली, अंडा, बादाम और ऑरेंज जैसे खाद्य पदार्थ अहम भूमिका निभाते हैं। इनमें Vitamin A, Vitamin C, Zinc, Omega-3 और Lutein जैसे पोषक तत्व पाए जाते हैं जो Retina की सेहत को मजबूत बनाते हैं और Age-related Macular Degeneration से बचाव करते हैं।
स्क्रीन टाइम के दौरान आंखों को कैसे आराम दें

लंबे समय तक मोबाइल या लैपटॉप पर काम करने से आंखों की मांसपेशियों पर दबाव बढ़ता है। ऐसे में 20-20-20 Rule बेहद फायदेमंद साबित हो सकता है। इसका मतलब है कि हर 20 मिनट बाद, 20 सेकंड के लिए 20 फीट दूर देखना। यह अभ्यास आंखों को रिलैक्स करता है और Vision Clarity को बनाए रखने में मदद करता है।
आंखों की एक्सरसाइज और नैचुरल थेरेपी
आंखों की मांसपेशियों को मजबूत करने के लिए कुछ सिंपल एक्सरसाइज भी की जा सकती हैं जैसे पलक झपकाना (Blinking), हथेलियों से आंखों को ढंकना (Palming) और आंखों को गोल गोल घुमाना। ये तकनीकें आंखों में ब्लड सर्कुलेशन को बढ़ाती हैं और आंखों को Naturally Recharge करने का मौका देती हैं। साथ ही सुबह-सुबह ठंडे पानी से आंखों को धोना भी आंखों की सफाई और ताजगी के लिए उपयोगी होता है।
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मोबाइल स्क्रीन से निकलने वाली ब्लू लाइट से बचाव

मोबाइल या कंप्यूटर से निकलने वाली Blue Light सीधे Retina पर असर डालती है, जो लंबे समय तक आंखों की रोशनी को नुकसान पहुंचा सकती है। इस समस्या से बचने के लिए Anti-Blue Light Glasses या Night Mode का उपयोग करना चाहिए। कुछ मोबाइल कंपनियों ने Blue Light Filter मोड को भी इनबिल्ट ऑप्शन के रूप में देना शुरू कर दिया है, जिसका उपयोग विशेष रूप से रात के समय किया जा सकता है।
स्क्रीन के साथ बैठने की सही पोजीशन और दूरी
यदि आप मोबाइल या लैपटॉप पर काम कर रहे हैं, तो यह जरूरी है कि आपकी आंखों और स्क्रीन के बीच की दूरी 20-28 इंच हो। साथ ही स्क्रीन की ऊंचाई को आंखों के लेवल से थोड़ा नीचे रखें ताकि आंखों पर अधिक तनाव न पड़े। कमरे की Lighting भी ऐसी होनी चाहिए जिससे स्क्रीन की Brightness आंखों को नुकसान न पहुंचाए।
नींद और आंखों की रिकवरी

आंखों की सेहत में अच्छी नींद का बहुत बड़ा योगदान है। नींद की कमी से आंखें थकी, लाल और सूखी महसूस होती हैं। पर्याप्त नींद आंखों की मरम्मत और Detoxification में मदद करती है। एक वयस्क को कम से कम 7-8 घंटे की नींद लेनी चाहिए ताकि आंखें पूरी तरह से रिकवर हो सकें।
धूम्रपान, तनाव और आंखों का संबंध
धूम्रपान आंखों के Blood Vessels को संकीर्ण करता है, जिससे Retina को पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं मिलती। इसके अलावा, मानसिक तनाव भी आंखों की कार्यक्षमता पर नकारात्मक असर डाल सकता है। Meditation और Deep Breathing Techniques से न केवल मानसिक तनाव कम होता है बल्कि आंखों की सेहत भी बेहतर होती है।
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