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नई पॉलिसी: बेटी के बाद दूसरी संतान के लिए IVF कराने पर अब लेनी होगी सरकारी इजाज़त!

हरियाणा सरकार ने IVF प्रक्रिया को लेकर नया नियम लागू किया है। अब अगर कपल के पास पहले से एक बेटी है, तो उन्हें दूसरा बच्चा पाने के लिए सरकार से अनुमति लेनी होगी। जानिए इस बदलाव के पीछे की वजह और इसके लिंग अनुपात पर क्या प्रभाव पड़ सकता है।

By Divya Pawanr
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नई पॉलिसी: बेटी के बाद दूसरी संतान के लिए IVF कराने पर अब लेनी होगी सरकारी इजाज़त!
नई पॉलिसी: बेटी के बाद दूसरी संतान के लिए IVF कराने पर अब लेनी होगी सरकारी इजाज़त!

हरियाणा सरकार ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया है, जिसमें बेटी के जन्म के बाद यदि कोई कपल IVF (In Vitro Fertilization) तकनीक से दूसरा बच्चा चाह रहा है, तो उसे सरकार से अनुमति प्राप्त करनी होगी। यह कदम राज्य में गिरते हुए लिंग अनुपात (Sex Ratio) को सुधारने के उद्देश्य से उठाया गया है। इस नई पॉलिसी के तहत, ऐसे कपल्स को IVF प्रक्रिया से पहले सरकारी अनुमति प्राप्त करनी होगी, ताकि लिंग चयन से संबंधित गैरकानूनी गतिविधियों पर रोक लगाई जा सके। इस निर्णय के पीछे मुख्य कारण IVF तकनीक का गलत इस्तेमाल है, जिससे अक्सर केवल लड़कों के जन्म की संभावना बढ़ रही है, और लड़कियों की संख्या में गिरावट आ रही है।

हरियाणा में गिरता लिंग अनुपात

हरियाणा में जन्म के समय लिंग अनुपात में पिछले कुछ वर्षों से गिरावट देखी गई है। 2024 में यह अनुपात 910 लड़कियां प्रति 1000 लड़कों तक गिर गया है, जो राज्य के लिए गंभीर चिंता का विषय है। 2018 और 2019 में यह अनुपात क्रमशः 914 और 923 था, लेकिन अब यह आंकड़ा लगातार घट रहा है। गिरते लिंग अनुपात को लेकर कई विशेषज्ञों ने आशंका जताई है कि IVF तकनीक का गलत तरीके से इस्तेमाल और लिंग चयन के कारण यह स्थिति पैदा हो रही है। कई IVF क्लीनिक में भ्रूण के लिंग की जानकारी माता-पिता को दी जाती है, जो पूरी तरह से कानून के खिलाफ है।

IVF प्रक्रिया पर नया नियंत्रण

नई पॉलिसी के अनुसार, यदि किसी कपल को पहले एक बेटी है और वह IVF तकनीक से दूसरा बच्चा चाहता है, तो उसे जिला उपयुक्त प्राधिकरण (District Appropriate Authority) से अनुमति लेनी होगी। आवेदन में कपल को पहले बच्चे का जन्म प्रमाणपत्र, पिछले गर्भधारण या मिसकैरेज की मेडिकल जानकारी, और IVF कराने का कारण स्पष्ट करना होगा। इस प्रक्रिया को बिना सरकारी अनुमति के कराने पर कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

हरियाणा सरकार ने यह कदम उठाया है ताकि IVF के दौरान भ्रूण लिंग चयन की प्रवृत्तियों को रोका जा सके। IVF प्रक्रिया में भ्रूण को लैब में तैयार किया जाता है, जिससे उसके लिंग की पहचान की जा सकती है। हालांकि, भारतीय कानून के तहत भ्रूण लिंग चयन पर प्रतिबंध है, लेकिन कुछ IVF क्लीनिकों में यह जानकारी माता-पिता को दी जाती है, जो गैरकानूनी है।

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लिंग अनुपात को सुधारने के लिए नई दिशा

इस नई पॉलिसी के माध्यम से राज्य सरकार का उद्देश्य यह है कि लिंग अनुपात में सुधार हो और समाज में पुरुषों और महिलाओं के बीच असमानता को कम किया जा सके। “बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ” जैसे अभियानों के बावजूद, हरियाणा में लिंग अनुपात में कोई खास सुधार नहीं हुआ है। ऐसे में इस नई पॉलिसी से उम्मीद की जा रही है कि इसके जरिए भ्रूण लिंग चयन जैसी अवैध गतिविधियों पर सख्ती से रोक लगेगी और राज्य में लिंग अनुपात में सुधार होगा।

IVF क्लीनिकों के लिए नई गाइडलाइंस

स्वास्थ्य विभाग ने सभी IVF क्लीनिकों के लिए नए नियम जारी किए हैं, जिनका पालन करना अनिवार्य होगा। इन नियमों के तहत, IVF क्लीनिकों को हर इलाज और भ्रूण चयन की रिपोर्ट स्वास्थ्य विभाग को देना होगी। इसके साथ ही किसी भी हालत में केवल पुरुष भ्रूण को इम्प्लांट करने की अनुमति नहीं दी जाएगी। IVF प्रक्रिया के दौरान अगर कोई क्लीनिक इन नियमों का उल्लंघन करता है, तो उसे सजा का सामना करना पड़ेगा।

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