
फूड पॉइज़निंग-Food Poisoning एक आम लेकिन कभी-कभी गंभीर स्वास्थ्य समस्या है, जो दूषित भोजन या पानी के सेवन से होती है। यह समस्या तब पैदा होती है जब हमारे द्वारा खाया गया खाना बैक्टीरिया, वायरस, परजीवी या विषैले रसायनों से संक्रमित होता है। इससे शरीर पर त्वरित प्रभाव पड़ता है और व्यक्ति को उल्टी, दस्त, पेट दर्द जैसी परेशानियाँ झेलनी पड़ती हैं। यह स्थिति अक्सर गलत तरीके से पके, अधपके, या लंबे समय से खुले पड़े खाद्य पदार्थों के सेवन से उत्पन्न होती है।
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फूड पॉइज़निंग के मुख्य लक्षण क्या हैं
फूड पॉइज़निंग-Food Poisoning के लक्षण व्यक्ति विशेष के शरीर की प्रतिरोधक क्षमता, उम्र और संक्रमित भोजन के प्रकार पर निर्भर करते हैं। सामान्यत: इसके लक्षण खाने के कुछ घंटों के भीतर ही दिखने लगते हैं। इसमें सबसे प्रमुख लक्षण हैं: बार-बार दस्त होना, लगातार उल्टी आना, पेट में ऐंठन या तीव्र दर्द महसूस होना, हल्का या तेज़ बुखार चढ़ना, अत्यधिक थकान और शरीर में कमजोरी। यदि समय रहते इलाज न मिले तो यह स्थिति और भी गंभीर हो सकती है।
फूड पॉइज़निंग के कारण क्या होते हैं
फूड पॉइज़निंग के पीछे कई कारण होते हैं। सबसे सामान्य कारण बैक्टीरिया जैसे सलमोनेला (Salmonella), ई.कोलाई (E.Coli), कैम्पिलोबैक्टर (Campylobacter) और लिस्टीरिया (Listeria) होते हैं। इसके अतिरिक्त नॉरोवायरस (Norovirus) और हेपेटाइटिस A जैसे वायरस भी संक्रमण फैलाते हैं। परजीवी संक्रमण जैसे जियार्डिया और क्रिप्टोस्पोरिडियम भी इस समस्या को जन्म देते हैं। कभी-कभी खाने में मिले कीटनाशक या भारी धातु जैसे सीसा और पारा भी फूड पॉइज़निंग का कारण बन सकते हैं।
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Food Poisoning से कैसे निपटें
हल्के मामलों में फूड पॉइज़निंग का इलाज घर पर ही किया जा सकता है। सबसे पहले शरीर को हाइड्रेटेड रखना ज़रूरी होता है, इसके लिए पानी, नारियल पानी, और ओआरएस का नियमित सेवन करना चाहिए। अधिक उल्टी या दस्त होने की स्थिति में इलेक्ट्रोलाइट्स का सेवन फायदेमंद रहता है। भोजन में हल्के और सुपाच्य आहार जैसे खिचड़ी, केला, उबले आलू आदि को शामिल किया जाना चाहिए। यदि लक्षण गंभीर हों या लंबे समय तक बने रहें, तो तुरंत डॉक्टर से परामर्श लें। किसी भी दवा का सेवन केवल चिकित्सकीय सलाह से ही करें।
फूड पॉइज़निंग से कैसे बचाव करें
फूड पॉइज़निंग से बचने के लिए सबसे महत्वपूर्ण है स्वच्छता का पालन। भोजन पकाने से पहले और बाद में हाथ धोना, कच्चे और पके भोजन को अलग रखना, दूध और डेयरी उत्पादों को पास्चुरीकृत रूप में ही उपयोग करना चाहिए। साथ ही, किसी भी प्रकार के स्ट्रीट फूड या अधपके मांसाहारी भोजन से दूरी बनाकर रखना सुरक्षित होता है। बचे हुए खाने को सही तापमान पर स्टोर करना और खाना बनाते समय साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखना अनिवार्य है।
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