
मां बनने का अहसास हर महिला के जीवन का सबसे अहम और भावनात्मक पड़ाव होता है। गर्भावस्था के नौ महीनों तक शिशु को अपने गर्भ में पालने के बाद, जब बच्चा दुनिया में आता है, तो उसका पोषण और देखभाल मां की प्राथमिक जिम्मेदारी बन जाती है। इस पूरे सफर में Breastfeeding यानी कि स्तनपान एक अहम भूमिका निभाता है। स्तनपान न केवल शिशु के लिए बल्कि मां के लिए भी अत्यंत लाभकारी सिद्ध होता है। यह कई शारीरिक और मानसिक समस्याओं से दोनों को बचा सकता है।
शिशु के संपूर्ण विकास में कैसे मदद करता है Breastfeeding
Cleveland Clinic की रिपोर्ट के अनुसार, Breastfeeding शिशु के शारीरिक और मानसिक विकास के लिए अत्यावश्यक है। मां के दूध में मौजूद एंटीबॉडीज और पोषक तत्व बच्चे की रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत बनाते हैं। इससे शिशु दस्त, उल्टी, निमोनिया, काली खांसी, कान का इंफेक्शन, अस्थमा, मोटापा, एक्जिमा, टाइप 2 डायबिटीज और यहां तक कि ल्यूकेमिया जैसी गंभीर बीमारियों से भी सुरक्षित रह सकता है।
जो शिशु स्तनपान करते हैं, उन्हें अस्पताल में भर्ती कराने की जरूरत भी अपेक्षाकृत कम होती है। इससे उनके स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है और उनका ग्रोथ पैटर्न सामान्य और स्वस्थ बना रहता है। यही कारण है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन भी जन्म के तुरंत बाद कम से कम 6 माह तक शिशु को केवल मां का दूध देने की सिफारिश करता है।
मां के लिए भी क्यों फायदेमंद है स्तनपान कराना
बच्चे को स्तनपान कराना केवल उसके लिए ही नहीं बल्कि मां के लिए भी बेहद लाभकारी है। स्तनपान के दौरान महिला के शरीर में ऑक्सीटोसिन नामक हार्मोन का स्राव होता है, जो गर्भाशय को उसके पूर्व आकार में लाने में मदद करता है। इससे डिलीवरी के बाद होने वाली अत्यधिक ब्लीडिंग भी नियंत्रित रहती है और शरीर जल्दी रिकवर करता है।
स्तनपान से मां को पोस्टपार्टम डिप्रेशन (Postpartum Depression) और पोस्टनेटल डिप्रेशन (Postnatal Depression) का खतरा भी कम होता है। यह एक तरह से भावनात्मक सहारा बनता है, जिससे मां शिशु से अधिक जुड़ाव महसूस करती है। यह संबंध केवल भावनात्मक नहीं बल्कि हार्मोनल और शारीरिक भी होता है, जो संपूर्ण स्वास्थ्य के लिए जरूरी है।
मां को किन जानलेवा बीमारियों से बचाता है स्तनपान
स्तनपान से महिला को कई प्रकार की गंभीर बीमारियों से बचाव मिल सकता है। इन बीमारियों में शामिल हैं:
- ब्रेस्ट कैंसर
- ओवेरियन कैंसर
- एंडोमेट्रियल कैंसर
- थायरॉइड कैंसर
- ऑस्टियोपोरोसिस
- टाइप 2 डायबिटीज
- कार्डियोवैस्कुलर डिजीज
- हाई ब्लड प्रेशर
- हाई कोलेस्ट्रॉल
इन बीमारियों का जोखिम स्तनपान कराने वाली महिलाओं में कम पाया गया है। विशेषज्ञों का मानना है कि स्तनपान के जरिए महिला का हार्मोनल संतुलन बेहतर बना रहता है, जिससे कैंसर जैसे रोगों से बचाव संभव हो पाता है।
फिजिकल और इमोशनल रिकवरी में कैसे मदद करता है Breastfeeding
Breastfeeding न सिर्फ शारीरिक रिकवरी को गति देता है बल्कि मां और बच्चे के बीच एक मजबूत इमोशनल बॉन्ड भी बनाता है। डिलीवरी के बाद महिलाओं को अपने शरीर में आए बदलावों से गुजरना पड़ता है, ऐसे में स्तनपान एक सकारात्मक प्रक्रिया की तरह काम करता है। यह मां को आत्मविश्वास देता है कि वह अपने बच्चे की परवरिश में सक्षम है।
ऑक्सीटोसिन हार्मोन के रिलीज से मां के मन में खुशी और संतोष की भावना आती है। इससे मां अधिक शांत, संयमित और बच्चे की जरूरतों को समझने वाली बनती है। यही कारण है कि जो महिलाएं स्तनपान कराती हैं, वे आमतौर पर अपने बच्चों की बेहतर देखभाल कर पाती हैं।
डिलीवरी के बाद शरीर को कैसे करता है रीसेट
डिलीवरी के बाद स्तनपान कराने से गर्भाशय सिकुड़ता है और अपने सामान्य आकार में जल्दी लौटता है। इसके अलावा, वजाइना से होने वाली ब्लीडिंग में भी कमी आती है। यह न केवल शारीरिक रिकवरी में मदद करता है बल्कि मां को भीतर से ताकत देता है।
विशेषज्ञों का मानना है कि यह संपूर्ण प्रक्रिया महिला के शरीर को एक तरह से रीसेट कर देती है, जिससे वह अपने मातृत्व काल के लिए बेहतर तरीके से तैयार हो पाती है।