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Dermatomyositis: जानें इस दुर्लभ बीमारी के लक्षण, कारण और इलाज का पूरा प्रोसेस

अगर आपके चेहरे या गर्दन पर लाल चकत्ते दिख रहे हैं और मांसपेशियां दिन-ब-दिन कमजोर होती जा रही हैं, तो ये Dermatomyositis हो सकता है। जानिए इस गंभीर बीमारी के पीछे के कारण, लक्षण और इलाज के वो ज़रूरी स्टेप्स जो आपकी सेहत को बिगड़ने से रोक सकते हैं।

By Divya Pawanr
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Dermatomyositis: जानें इस दुर्लभ बीमारी के लक्षण, कारण और इलाज का पूरा प्रोसेस

Dermatomyositis एक दुर्लभ लेकिन गंभीर ऑटोइम्यून रोग है जो मुख्य रूप से त्वचा और मांसपेशियों को प्रभावित करता है। इस बीमारी में शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली (immune system) गलती से अपनी ही स्वस्थ मांसपेशियों और त्वचा की कोशिकाओं पर हमला करने लगती है। Dermatomyositis के मामले महिलाओं में अधिक देखे जाते हैं और यह 40 से 60 वर्ष की उम्र में अधिक सक्रिय रूप से प्रकट होता है, हालांकि यह रोग बच्चों में भी पाया जा सकता है। यह स्थिति कई बार जीवन की गुणवत्ता को गहराई से प्रभावित कर सकती है, यदि समय रहते इसका निदान और इलाज न किया जाए।

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Dermatomyositis के शुरुआती लक्षण

Dermatomyositis के लक्षण धीरे-धीरे उभर सकते हैं, लेकिन कई मामलों में ये अचानक भी दिखाई दे सकते हैं। त्वचा पर बैंगनी या लाल रंग के चकत्ते, विशेषकर चेहरे, पलकों, गर्दन और पीठ पर दिखना इसका प्रमुख संकेत है। साथ ही मांसपेशियों में कमजोरी, विशेष रूप से कंधों, जांघों और गर्दन में, आमतौर पर सामने आने वाला लक्षण होता है। कई रोगियों में थकावट, बुखार, जोड़ों में दर्द, और सांस लेने में तकलीफ जैसे लक्षण भी देखे गए हैं। इस बीमारी में निगलने में कठिनाई होना भी एक गंभीर संकेत हो सकता है।

बीमारी के पीछे के संभावित कारण और रिस्क फैक्टर्स

Dermatomyositis का सटीक कारण अब तक पूरी तरह से स्पष्ट नहीं है, लेकिन विशेषज्ञ इसे एक ऑटोइम्यून प्रक्रिया मानते हैं जिसमें किसी बाहरी ट्रिगर—जैसे वायरल संक्रमण, कुछ दवाओं का असर या सूर्य की तेज़ रोशनी—से प्रतिरक्षा प्रणाली एक्टिव हो जाती है। यह रोग आनुवंशिक प्रवृत्ति से भी जुड़ा हो सकता है और धूम्रपान जैसे जीवनशैली कारकों से इसका खतरा बढ़ सकता है। रोग के उभरने की संभावना महिलाओं में पुरुषों की तुलना में अधिक होती है।

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मेडिकल डायग्नोसिस और पुष्टि की प्रक्रिया

Dermatomyositis का निदान केवल लक्षणों के आधार पर नहीं किया जाता, बल्कि इसके लिए कई तरह की जांचें ज़रूरी होती हैं। रक्त जांच से मांसपेशियों में सूजन के संकेत मिलते हैं, जबकि EMG यानी इलेक्ट्रोमायोग्राफी से मांसपेशियों की कार्यप्रणाली को मापा जाता है। MRI से सूजन और क्षति की स्थिति का पता लगाया जाता है, और त्वचा या मांसपेशियों की बायोप्सी करके डॉक्टर निदान की पुष्टि करते हैं। इन सभी परीक्षणों से यह सुनिश्चित किया जाता है कि लक्षण किसी अन्य मांसपेशीय रोग के नहीं हैं।

इलाज का तरीका और जीवनशैली में ज़रूरी बदलाव

हालांकि Dermatomyositis का कोई स्थायी इलाज नहीं है, परंतु सही इलाज और देखभाल से इसके लक्षणों को काफी हद तक नियंत्रित किया जा सकता है। मुख्य उपचारों में कॉर्टिकोस्टेरॉइड्स का इस्तेमाल होता है जो सूजन को कम करने में मदद करते हैं। इसके साथ ही इम्यूनोसप्रेसेंट दवाएं दी जाती हैं, जो प्रतिरक्षा प्रणाली की प्रतिक्रिया को नियंत्रित करती हैं। फिजिकल थेरेपी मांसपेशियों की ताकत बनाए रखने में मदद करती है। त्वचा की सुरक्षा के लिए सनस्क्रीन और ढके हुए कपड़े पहनना भी आवश्यक होता है।

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