
Pregnancy के दौरान महिला के शरीर में कई तरह के हार्मोनल बदलाव होते हैं, जो न सिर्फ माँ के स्वास्थ्य को प्रभावित करते हैं बल्कि शिशु के समुचित विकास में भी अहम भूमिका निभाते हैं। इन्हीं ज़रूरतों में से एक है फोलिक एसिड-Folic Acid, जिसे विटामिन बी9 के नाम से भी जाना जाता है। यह विटामिन भ्रूण के मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी के विकास के लिए अत्यंत आवश्यक है। गर्भावस्था के शुरुआती हफ्तों में यह न्यूरल ट्यूब डिफेक्ट्स (जैसे स्पाइना बिफिडा) की आशंका को कम करता है।
विशेषज्ञों के अनुसार, गर्भवती महिलाओं को प्रतिदिन कम से कम 600 माइक्रोग्राम फोलिक एसिड का सेवन करना चाहिए। यह मात्रा आहार और सप्लिमेंट्स दोनों से प्राप्त की जा सकती है।
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हरी पत्तेदार सब्ज़ियाँ

फोलिक एसिड प्राप्त करने के लिए हरी पत्तेदार सब्ज़ियाँ बेहद असरदार होती हैं। पालक, सरसों का साग, बथुआ और मेथी जैसे सागों में भरपूर मात्रा में फोलेट पाया जाता है। ये न केवल फोलिक एसिड का अच्छा स्रोत हैं बल्कि इनमें आयरन, कैल्शियम और फाइबर भी होता है जो गर्भवती महिलाओं के लिए अत्यंत लाभकारी है। इनका नियमित सेवन शरीर में खून की कमी नहीं होने देता और पाचन तंत्र को भी मज़बूत बनाता है।
फलियाँ और दालें
चना, राजमा, मसूर और हरी मटर जैसी फलियाँ और दालें फोलिक एसिड से भरपूर होती हैं। ये प्रोटीन का भी अच्छा स्रोत हैं, जो गर्भावस्था में शरीर की कोशिकाओं के निर्माण में सहायक होता है। विशेष रूप से शाकाहारी महिलाओं के लिए ये एक बहुत ही अच्छा विकल्प हैं। इन्हें आप सलाद, सूप या मुख्य भोजन के साथ शामिल कर सकती हैं।
अंडे

एक बड़ा अंडा लगभग 22 माइक्रोग्राम फोलेट प्रदान करता है, जिससे दैनिक आवश्यकताओं का एक बड़ा हिस्सा पूरा किया जा सकता है। अंडे में प्रोटीन, विटामिन D और ओमेगा-3 फैटी एसिड भी होता है, जो भ्रूण के ब्रेन डेवलपमेंट में मदद करता है। अंडे को उबालकर, आमलेट या भुर्जी के रूप में आहार में शामिल किया जा सकता है।
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खट्टे फल
संतरा, मौसमी, नींबू और कीनू जैसे खट्टे फलों में फोलिक एसिड के साथ-साथ विटामिन C भी प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। ये शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के साथ-साथ आयरन के अवशोषण को भी बेहतर बनाते हैं। गर्भवती महिलाओं को रोज़ाना एक संतरा या एक गिलास ताज़ा जूस लेने की सलाह दी जाती है।
ब्रोकली और चुकंदर

ब्रोकली एक ऐसी सब्ज़ी है जो फोलेट, फाइबर, आयरन और एंटीऑक्सिडेंट्स से भरपूर होती है। इसे भाप में पकाकर सलाद या सब्ज़ी के रूप में खाया जा सकता है। वहीं चुकंदर में भी भरपूर मात्रा में फोलेट और आयरन होता है, जो खून की कमी को दूर करने में मदद करता है। दोनों सब्ज़ियाँ गर्भवती महिला की थकान और कमजोरी को दूर करने में मददगार होती हैं।
सूजी और तिल के बीज
भारतीय रसोई में प्राचीन काल से सूजी और तिल का उपयोग पोषण के लिए किया जाता रहा है। सूजी में मौजूद फोलेट ऊर्जा देने के साथ-साथ भ्रूण के विकास में मदद करता है। वहीं, तिल के बीज में फोलिक एसिड, आयरन और कैल्शियम की पर्याप्त मात्रा होती है, जिससे हड्डियाँ मज़बूत होती हैं और खून की कमी भी दूर होती है।
फोलिक एसिड सप्लिमेंट्स की भूमिका
हालांकि आहार के माध्यम से फोलिक एसिड प्राप्त करना संभव है, फिर भी विशेषज्ञ यह सलाह देते हैं कि गर्भधारण की योजना बनाते समय से ही फोलिक एसिड सप्लिमेंट लेना शुरू कर देना चाहिए। गर्भावस्था के शुरुआती 12 हफ्तों तक यह बेहद ज़रूरी होता है। पूरक के रूप में प्रतिदिन 400 माइक्रोग्राम से 600 माइक्रोग्राम की मात्रा ली जा सकती है, लेकिन डॉक्टर की सलाह लेना अनिवार्य है।
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