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बार-बार पेशाब लगना बना रहा है परेशानी? जानिए इसके पीछे की मुख्य वजहें और कब सतर्क हों

बार-बार पेशाब लगना सिर्फ आम समस्या नहीं, ये हो सकता है डायबिटीज, यूटीआई या हार्मोनल गड़बड़ी का संकेत! जानिए इसकी असली वजहें और कब आपको सतर्क हो जाना चाहिए – वरना देर हो सकती है।

By Divya Pawanr
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बार-बार पेशाब लगना बना रहा है परेशानी? जानिए इसके पीछे की मुख्य वजहें और कब सतर्क हों
बार-बार पेशाब लगना बना रहा है परेशानी? जानिए इसके पीछे की मुख्य वजहें और कब सतर्क हों

बार-बार पेशाब आना (Frequent Urination) केवल ज्यादा पानी पीने का नतीजा नहीं होता, बल्कि यह शरीर के भीतर किसी गंभीर समस्या का संकेत भी हो सकता है। अक्सर लोग इसे नजरअंदाज कर देते हैं, लेकिन अगर यह समस्या रोजमर्रा की जिंदगी को प्रभावित करने लगे, तो इसे हल्के में लेना खतरनाक हो सकता है। पेशाब की यह बढ़ी हुई आवृत्ति (Frequency) कई कारणों से हो सकती है – जैसे कि डायबिटीज, यूटीआई (UTI), हार्मोनल बदलाव, या फिर ब्लैडर से जुड़ी समस्याएं।

यह समस्या खासतौर पर उन लोगों में ज्यादा देखने को मिलती है जो 50 वर्ष की उम्र पार कर चुके होते हैं। लेकिन युवावस्था में भी अगर पेशाब बार-बार आने लगे, तो यह एक चेतावनी संकेत हो सकता है जिसे नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए।

ज्यादा पानी, चाय या कॉफी का सेवन

अगर आप दिनभर में बहुत अधिक मात्रा में पानी, चाय या कॉफी लेते हैं, तो इससे आपका ब्लैडर जल्दी-जल्दी भरता है और पेशाब की जरूरत बार-बार महसूस होती है। कैफीन (Caffeine) और तरल पदार्थों का अत्यधिक सेवन मूत्रवर्धक (Diuretic) प्रभाव डालता है, जिससे ब्लैडर पर लगातार दबाव बनता है और पेशाब आना सामान्य से ज्यादा हो जाता है।

डायबिटीज (Diabetes) हो सकती है बड़ी वजह

बार-बार पेशाब आना डायबिटीज (Diabetes) का एक प्रमुख लक्षण भी हो सकता है। अगर इसके साथ आपको अत्यधिक प्यास लगती है, शरीर में थकावट महसूस होती है और वजन तेजी से घटने लगता है, तो यह संकेत हो सकते हैं कि आपके शरीर में ग्लूकोज की मात्रा असंतुलित हो चुकी है। इस स्थिति में शरीर एक्स्ट्रा ग्लूकोज को पेशाब के जरिए बाहर निकालने की कोशिश करता है, जिससे बार-बार पेशाब लगती है।

महिलाओं में यूटीआई (UTI) की आम समस्या

महिलाओं में यूटीआई यानी यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन (Urinary Tract Infection) एक आम समस्या है, जिसमें बार-बार पेशाब आती है और पेशाब करते समय जलन या दर्द महसूस होता है। यह संक्रमण ब्लैडर को प्रभावित करता है और लगातार पेशाब की भावना उत्पन्न करता है। खासकर अगर पेशाब में दुर्गंध, जलन या रंग में बदलाव हो, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना जरूरी है।

मेनोपॉज के बाद हार्मोनल बदलाव

उम्र बढ़ने के साथ महिलाओं में मेनोपॉज (Menopause) के बाद हार्मोनल बदलाव होते हैं, जिससे पेशाब पर नियंत्रण करना मुश्किल हो सकता है। एस्ट्रोजन हार्मोन का स्तर कम होने से यूरिनरी ट्रैक्ट की मांसपेशियां कमजोर हो जाती हैं और बार-बार पेशाब आने की समस्या होने लगती है।

नाइटटाइम फ्रीक्वेंसी और नींद में बाधा

रात के समय जब व्यक्ति गहरी नींद में होता है और बार-बार पेशाब के लिए उठना पड़े, तो इससे नींद पूरी नहीं होती और शरीर में थकावट बनी रहती है। इसे नॉक्टुरिया (Nocturia) कहा जाता है और यह बुजुर्गों में आम है। अगर यह समस्या लगातार बनी रहती है, तो इसके पीछे कोई गंभीर कारण भी हो सकता है जैसे कि प्रोस्टेट ग्रंथि की वृद्धि या किडनी से जुड़ी परेशानी।

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बचाव और सावधानी के उपाय

बार-बार पेशाब लगने की समस्या से राहत पाने के लिए कुछ सामान्य आदतों में बदलाव जरूरी है। सबसे पहले, रात में सोने से पहले अधिक मात्रा में पानी, चाय या कॉफी का सेवन न करें।

दूसरा, अगर पेशाब के साथ जलन, दर्द या कमजोरी महसूस हो रही है, तो तुरंत डॉक्टर से जांच कराएं। यूटीआई या डायबिटीज जैसे लक्षणों को अनदेखा करना आपकी सेहत को गंभीर रूप से नुकसान पहुंचा सकता है।

तीसरा, बहुत ज्यादा नमक और तीखे मसाले खाने से भी ब्लैडर उत्तेजित होता है, जिससे पेशाब की आवृत्ति बढ़ सकती है। ऐसे खाद्य पदार्थों का सीमित सेवन करें और फाइबर युक्त संतुलित आहार लें।

कब सतर्क हो जाना चाहिए?

अगर पेशाब बार-बार आने की समस्या कुछ दिनों तक बनी रहे और उसके साथ कोई अन्य लक्षण जैसे जलन, बुखार, थकान, शरीर में कमजोरी या वजन घटने लगे, तो तुरंत डॉक्टर से परामर्श लेना आवश्यक है। कई बार पेशाब की यह अनदेखी समस्या डायबिटीज, प्रोस्टेट इंलार्जमेंट, या यहां तक कि किडनी डिसऑर्डर का भी शुरुआती संकेत हो सकती है।

शरीर जब बार-बार कोई संकेत देता है, तो उसे गंभीरता से लेना चाहिए। थोड़ी सी समझदारी और समय पर किया गया उपचार न केवल आपको राहत दे सकता है, बल्कि किसी बड़ी बीमारी को समय रहते रोक भी सकता है।

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