
महिलाओं के लिए Menstrual Cycle न केवल एक सामान्य जैविक प्रक्रिया है, बल्कि यह उनके संपूर्ण स्वास्थ्य का भी संकेतक है। पीरियड्स की समय-सीमा में कोई भी असामान्यता शरीर में चल रहे किसी गहरे असंतुलन का संकेत हो सकती है। विशेषज्ञों के अनुसार, आमतौर पर पीरियड्स का साइकल 28 दिनों का होता है, लेकिन यह 21 से 35 दिनों तक भी हो सकता है। यदि पीरियड्स तय समय से पहले आ रहे हैं, तो यह कई तरह की स्वास्थ्य समस्याओं का संकेत हो सकता है, जिन्हें नजरअंदाज करना नुकसानदायक साबित हो सकता है।
हार्मोनल इंबेलेंस से बिगड़ता है साइकल
समय से पहले पीरियड्स आने की सबसे आम वजह Hormonal Imbalance मानी जाती है। महिलाओं के शरीर में एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन हार्मोन का संतुलन मासिक धर्म को नियंत्रित करता है। जब किसी कारणवश इन हार्मोन में उतार-चढ़ाव होता है, तो पीरियड्स जल्दी आ सकते हैं। यह असंतुलन उम्र, खानपान, नींद की कमी, या दवाओं के कारण भी हो सकता है।
अत्यधिक एक्सरसाइज का असर
ज्यादा Exercise करने वाली महिलाएं, विशेषकर एथलीट्स या बॉडीबिल्डर्स, अक्सर अनियमित पीरियड्स की समस्या का सामना करती हैं। जब शरीर में कैलोरी की खपत जरूरत से ज्यादा हो जाती है और शरीर के पास ओव्यूलेशन के लिए आवश्यक ऊर्जा नहीं होती, तो प्रजनन हार्मोन का उत्पादन प्रभावित होता है। इससे पीरियड्स समय से पहले या कई बार बंद भी हो सकते हैं।
तनाव से भी बिगड़ता है चक्र
Stress का सीधा असर हमारे मस्तिष्क के हाइपोथैलेमस हिस्से पर पड़ता है, जो हार्मोन को नियंत्रित करता है। जब तनाव बहुत अधिक हो जाता है, तो हाइपोथैलेमस प्रभावित होता है और हार्मोनल असंतुलन के कारण पीरियड्स जल्दी आने लगते हैं। आधुनिक जीवनशैली में यह एक प्रमुख कारण बनता जा रहा है।
बर्थ कंट्रोल पिल्स भी बना सकती हैं कारण
Birth Control Pills यानी गर्भनिरोधक गोलियां हार्मोन को सीधे प्रभावित करती हैं। जब कोई महिला इन गोलियों का सेवन करना शुरू करती है या अचानक बंद करती है, तो उसके शरीर में हार्मोनल बदलाव होते हैं, जिससे पीरियड्स का समय बदल सकता है। यह प्रभाव अस्थायी हो सकता है लेकिन इसके संकेतों को समझना जरूरी है।
थायराइड डिसऑर्डर का भी है असर
थायराइड ग्रंथि हमारे शरीर की अनेक क्रियाओं को नियंत्रित करती है। Thyroid में गड़बड़ी होने पर भी एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन हार्मोन असंतुलित हो जाते हैं, जिससे पीरियड्स समय से पहले आने लगते हैं। यह समस्या हाइपोथायरॉयडिज्म या हाइपरथायरॉयडिज्म दोनों में देखी जा सकती है।
पीसीओएस से बढ़ती है अनियमितता
Polycystic Ovary Syndrome (PCOS) एक सामान्य लेकिन गंभीर समस्या है, जिसमें ओवरी में छोटी-छोटी सिस्ट बन जाती हैं और हार्मोनल असंतुलन उत्पन्न होता है। इससे पीरियड्स कभी जल्दी और कभी देर से आते हैं। इससे महिलाओं को गर्भधारण में भी कठिनाई हो सकती है।
एंडोमेट्रियोसिस भी है गंभीर कारण
Endometriosis में गर्भाशय की लाइनिंग ओवरी या उसके बाहर विकसित होने लगती है। इस स्थिति में पीरियड्स न केवल अनियमित होते हैं बल्कि अत्यंत दर्दनाक भी होते हैं। समय से पहले पीरियड्स और अत्यधिक रक्तस्राव इसके प्रमुख लक्षणों में शामिल हैं।
हार्मोनल परिवर्तन और उम्र
जैसे-जैसे महिलाएं किशोरावस्था से युवावस्था और फिर मेनोपॉज की ओर बढ़ती हैं, शरीर में Hormonal Changes होते रहते हैं। इस बदलाव के दौर में पीरियड्स का जल्दी आना एक सामान्य लेकिन अलर्ट करने वाला संकेत हो सकता है। खासकर किशोरियों में हार्मोन का संतुलन बनते-बनते समय लग सकता है।
तेजी से वजन घटने या बढ़ने का प्रभाव
शरीर के वजन में अचानक परिवर्तन भी मासिक चक्र को प्रभावित करता है। जब शरीर में Weight Loss या Weight Gain तेजी से होता है, तो यह मेटाबॉलिज्म और हार्मोन पर प्रभाव डालता है। इससे पीरियड्स समय से पहले आ सकते हैं।
प्री-मेनोपॉज की स्थिति
Premenopausal स्टेज में जब एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन का उत्पादन अनियमित होने लगता है, तो पीरियड्स जल्दी या देर से आने लगते हैं। यह परिवर्तन 40 की उम्र के आसपास अधिक देखा जाता है और इसके साथ अन्य लक्षण जैसे गर्मी लगना, मूड स्विंग्स आदि भी जुड़ सकते हैं।