जैसा की हम सभी जानते हैं,शादी के कुछ समय बाद ही हर एक नया जोड़ा अपनी शादीशुदा जीवन की नई शुरुआत करता है। तो इसमें लगभग सभी शादीशुदा के मन मे एक महत्वपूर्ण सवाल रहता है, कि पति पत्नी में आपसी शारीरिक संबंध बनाने के कितने दिन बाद एक महिला मे प्रेग्नेंसी-Pregnancy का पता चलता है,और कैसे माहिलाए इसकी पहली पहचान कर सकती है। वैसे तो अक्सर भारत में नई शादी के बाद लोग अपनी बहूँ से जल्दी से जल्दी गुड न्यूज देने की उम्मीद रखते हैं। इसलिए हर शादी शुदा महिला को यह जानना बेहद जरूरी हो जाता है। कि फर्स्ट टाइम की गर्ववस्था में क्या-क्या प्रक्रिया होती है, और कब महिलाओं में इसके लक्षण दिखाई देते हैं,और इसके अलावा कौन से मेडिकल टेस्ट से इसे जल्दी डिटेक्ट किया जा सकता है।

महिलाओं में शारीरिक संबंध बनाने के कितनी बाद प्रेग्नेंसी का पता चलता है, और इस दौरान महिलाओं में क्या-क्या बदलाव दिखाई देते हैं। इस विषय की पूरी जानकारी हम आपको बताएंगे ताकि किसी भी शादीशुदा महिलाओं के मन में उनकी प्रेग्नेंसी को लेकर किसी तरह का कोई सवाल न रहें और साथ ही उन्हे पूरी सही जानकारी पता चले।
शारीरिक संबंध बनाने के कितने दिन बाद पता चलता है प्रेग्नेंसी का?
मेडिकल साइंस बताती हैं कि एक महिला प्रेग्नेंसी तब कंसीव करती है,जब शारीरक संबंध के बाद अंडाणु और शुक्राणु का मिलन होकर निषेचन (Fertilization) होता है, तो उस निषेचित अंडे को गर्भाशय Uterus में इम्प्लांट होने में खासतौर पर लगभग 6 से 12 दिन लग जाते हैं। और इस तरह के इम्प्लांटेशन के बाद महिला के शरीर में Human Chorionic Gonadotropin (hCG) नाम का हार्मोन बनना शुरू होता है। फिर शरीर में इस हार्मोस का स्तर बढ़ने पर प्रेग्नेंसी का पता आसानी से लगाया जा सकता है।
पीरियड्स मिस प्रेग्नेंसी की सबसे फर्स्ट पहचान
गर्भावस्था की पहली और सबसे आम पहचान है – पीरियड्स का मिस होना। यदि महिला के पीरियड्स नियमित रहते हैं और फिर अचानक एक चक्र छूट जाता है, तो यह संकेत हो सकता है कि वह गर्भवती हैं। हालांकि यह लक्षण कई बार तनाव, हार्मोनल बदलाव या स्वास्थ्य कारणों से भी हो सकता है, लेकिन प्रेग्नेंसी में यह सबसे शुरुआती और भरोसेमंद संकेत माना जाता है।
होम प्रेग्नेंसी टेस्ट से कितने दिन में पता चलेगा?
आज की तारीख में बाजार में उपलब्ध मॉडर्न होम प्रेग्नेंसी टेस्ट किट्स 7 से 12 दिन में hCG हार्मोन को पहचानने में सक्षम होती हैं। ये किट्स पेशाब में मौजूद hCG लेवल को डिटेक्ट करती हैं। कुछ किट्स तो इतनी सेंसिटिव होती हैं कि वे केवल 10-25 mIU/mL के स्तर तक भी इस हार्मोन को पहचान सकती हैं। हालांकि विशेषज्ञों की मानें तो टेस्ट करने का सबसे उपयुक्त समय है पीरियड्स मिस होने के 14 दिन बाद, जिससे परिणाम अधिक सटीक मिल सके।
ब्लड टेस्ट जल्दी डिटेक्शन का जरिया
अगर महिला जल्दी से जल्दी पता लगाना चाहती हैं कि वे गर्भवती हैं या नहीं, तो ब्लड टेस्ट (Beta hCG) सबसे कारगर तरीका है। इस टेस्ट से 6 से 8 दिन के भीतर ही प्रेग्नेंसी का पता लगाया जा सकता है, क्योंकि यह टेस्ट पेशाब की बजाय सीधे खून में hCG के लेवल को मापता है, जो अधिक सटीक और जल्दी रिजल्ट देता है।
अल्ट्रासाउंड से प्रेग्नेंसी का पता कब चलता है?
प्रेग्नेंसी की पहचान करने के लिए अल्ट्रासाउंड स्कैन भी एक भरोसेमंद तरीका है, लेकिन इसमें थोड़ा वक्त लगता है। आमतौर पर गर्भाशय में भ्रूण की थैली (gestational sac) को अल्ट्रासाउंड में देखने के लिए कम से कम 4 से 5 सप्ताह का समय लगता है। शुरुआती चरण में यह तरीका बहुत उपयोगी नहीं होता क्योंकि भ्रूण का विकास पूरी तरह नहीं हो पाता और स्पष्ट रूप से दिखाई नहीं देता।
इम्प्लांटेशन ब्लीडिंग शुरुआती संकेतों में शामिल
कंसीव होने के 6 से 12 दिन बाद जब निषेचित अंडा गर्भाशय की दीवार में प्रत्यारोपित होता है, तो हल्की ब्लीडिंग या स्पॉटिंग हो सकती है। यह पीरियड्स से अलग होती है और आमतौर पर हल्के गुलाबी या भूरे रंग की होती है। यह 20-30% महिलाओं में देखने को मिलती है और इसे इम्प्लांटेशन ब्लीडिंग कहा जाता है। इसे पहचानना थोड़ा मुश्किल होता है, लेकिन यह भी एक प्रमुख संकेत है।
थकान और नींद बढ़ना हार्मोनल असर
जैसे ही महिला के शरीर में hCG और प्रोजेस्टेरोन हार्मोन का स्तर बढ़ता है, शरीर में थकान बढ़ने लगती है। महिला को अधिक नींद आने लगती है और ऊर्जा में गिरावट महसूस होती है। यह लक्षण आमतौर पर शारीरिक संबंध बनाने के 10 से 14 दिन के भीतर दिखने लगते हैं।
प्रेग्नेंसी में मॉर्निंग सिकनेस एक क्लासिक संकेत
मतली और उल्टी, जिसे आमतौर पर मॉर्निंग सिकनेस कहा जाता है, गर्भावस्था के शुरुआती संकेतों में से एक है। यह आमतौर पर गर्भावस्था के 2 से 8 सप्ताह के भीतर शुरू हो जाती है, लेकिन कुछ महिलाओं में यह लक्षण पहले भी दिखाई दे सकता है। यह संकेत करीब 50 से 80% महिलाओं में देखा गया है।