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पुरुषों में भी होता है Menopause! जानिए बढ़ती उम्र में ये कैसे होता है और महिलाओं से किस तरह है अलग

40 की उम्र के बाद पुरुषों के शरीर में भी शुरू हो जाता है हार्मोनल बदलाव का सिलसिला, जिसे मेल मेनोपॉज कहते हैं। जानिए इसके लक्षण, कारण और महिलाओं से कैसे है यह पूरी तरह अलग – पूरी जानकारी के लिए पढ़ें आगे।

By Divya Pawanr
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पुरुषों में भी होता है Menopause! जानिए बढ़ती उम्र में ये कैसे होता है और महिलाओं से किस तरह है अलग
पुरुषों में भी होता है Menopause! जानिए बढ़ती उम्र में ये कैसे होता है और महिलाओं से किस तरह है अलग

बढ़ती उम्र के साथ पुरुषों में भी होता है Menopause। जब भी मेनोपॉज की बात होती है, आमतौर पर इसका संबंध महिलाओं में होने वाले हार्मोनल बदलाव, हॉट फ्लैशेज, मूड स्विंग और माहवारी बंद होने से जोड़कर देखा जाता है। लेकिन, क्या आप जानते हैं कि पुरुषों में भी उम्र बढ़ने के साथ ऐसे ही बदलाव होते हैं जिन्हें मेल मेनोपॉज या एंड्रोपॉज (Andropause) कहा जाता है? हालाँकि यह प्रक्रिया महिलाओं से भिन्न होती है, लेकिन इसके लक्षण और प्रभाव भी मानसिक व शारीरिक दोनों स्तर पर देखे जा सकते हैं।

क्या होता है मेल मेनोपॉज?

मेल मेनोपॉज कोई अचानक होने वाली प्रक्रिया नहीं है, बल्कि यह धीरे-धीरे शरीर में बदलाव लेकर आता है। मेडिकल टर्म में इसे “एज-रिलेटेड हाइपोगोनैडिज्म” या “टेस्टोस्टेरॉन डेफिशिएंसी सिंड्रोम” कहा जाता है। इसमें पुरुषों के शरीर में टेस्टोस्टेरॉन (Testosterone) नामक प्रमुख सेक्स हॉर्मोन का स्तर धीरे-धीरे कम होने लगता है। यह प्रक्रिया 40 वर्ष की उम्र के बाद आरंभ होती है और 70 की उम्र तक इसके असर अधिक स्पष्ट दिखाई देने लगते हैं।

महिलाओं और पुरुषों के मेनोपॉज में क्या है फर्क?

महिलाओं में मेनोपॉज एक स्पष्ट और अचानक होने वाली प्रक्रिया होती है जिसमें एस्ट्रोजन (Estrogen) और प्रोजेस्ट्रॉन (Progesterone) हॉर्मोन के स्तर में तेज़ गिरावट होती है। इस वजह से महिलाओं की माहवारी बंद हो जाती है और उनकी प्रजनन क्षमता समाप्त हो जाती है।

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वहीं दूसरी ओर, पुरुषों में टेस्टोस्टेरॉन का स्तर धीरे-धीरे घटता है। पुरुषों की प्रजनन क्षमता पूरी तरह समाप्त नहीं होती, लेकिन इसमें कमी ज़रूर आती है। इसका असर यौन इच्छा, मूड, मांसपेशियों की ताकत, हड्डियों के घनत्व और समग्र जीवनशैली पर पड़ता है।

पुरुषों में एंड्रोपॉज के लक्षण क्या हो सकते हैं?

एलांटिस हेल्थकेयर नई दिल्ली में ऑब्सटेट्रिक्स और गायनेकोलॉजी के चेयरमैन डॉ. मन्नन गुप्ता के अनुसार, एंड्रोपॉज से प्रभावित पुरुषों में कई तरह के लक्षण देखे जा सकते हैं। इनमें प्रमुख हैं – थकावट, नींद की समस्या, चिड़चिड़ापन, उदासी, यौन इच्छा में कमी, इरेक्टाइल डिसफंक्शन, वजन बढ़ना, और ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई। कुछ मामलों में यह लक्षण इतने गंभीर हो सकते हैं कि वे डिप्रेशन जैसी मानसिक स्थिति को जन्म दे सकते हैं।

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क्या हर पुरुष को होता है मेल मेनोपॉज?

यह ज़रूरी नहीं कि हर पुरुष को मेल मेनोपॉज के लक्षण महसूस हों। कुछ पुरुषों में टेस्टोस्टेरॉन की गिरावट का असर नगण्य होता है, जबकि कुछ को यह बदलाव गंभीर रूप से प्रभावित करता है। यह इस बात पर निर्भर करता है कि व्यक्ति की जीवनशैली, खानपान, तनाव का स्तर और स्वास्थ्य संबंधी आदतें कैसी हैं।

कैसे पहचानें कि मेल मेनोपॉज हो रहा है?

अगर किसी पुरुष को बार-बार थकान महसूस हो, मूड में बदलाव आए, यौन इच्छा में गिरावट आए, या मांसपेशियों की ताकत कमजोर लगने लगे, तो यह संकेत हो सकते हैं कि वह एंड्रोपॉज की ओर बढ़ रहा है। डॉक्टर ब्लड टेस्ट के ज़रिए टेस्टोस्टेरॉन के स्तर की जांच कर इसकी पुष्टि कर सकते हैं।

क्या इसका इलाज संभव है?

मेल मेनोपॉज का इलाज पूरी तरह संभव नहीं है क्योंकि यह एक प्राकृतिक उम्र संबंधी प्रक्रिया है। लेकिन इसके लक्षणों को नियंत्रित करने के लिए जीवनशैली में बदलाव, हार्मोन रिप्लेसमेंट थैरेपी (HRT), व्यायाम और संतुलित आहार का सहारा लिया जा सकता है। कुछ मामलों में डॉक्टर मानसिक स्वास्थ्य के लिए थेरेपी या एंटी-डिप्रेसेंट दवाइयां भी सुझा सकते हैं।

लाइफस्टाइल सुधार से मिल सकती है राहत

विशेषज्ञों का मानना है कि मेल मेनोपॉज से जुड़े लक्षणों को काफी हद तक कम किया जा सकता है अगर व्यक्ति समय रहते स्वस्थ जीवनशैली अपनाए। रोज़ाना व्यायाम, पर्याप्त नींद, तनाव कम करने की तकनीकें जैसे ध्यान और योग, और पौष्टिक आहार न केवल शारीरिक बल्कि मानसिक स्वास्थ्य को भी बेहतर बनाते हैं।

क्यों ज़रूरी है मेल मेनोपॉज की जागरूकता?

भारत जैसे देश में जहां पुरुषों की मानसिक और यौन स्वास्थ्य पर खुलकर बात नहीं होती, वहां मेल मेनोपॉज की जानकारी और इसके लक्षणों की पहचान बेहद ज़रूरी है। यह न केवल व्यक्ति के निजी जीवन बल्कि वैवाहिक और सामाजिक जीवन को भी प्रभावित कर सकता है। अगर समय रहते इसे पहचाना और संभाला जाए, तो इसका प्रभाव कम किया जा सकता है।

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