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इसे न समझें साधारण घास! आंगन में उगने वाला ये पौधा है जोड़ों के दर्द और टीबी का आयुर्वेदिक इलाज

आयुर्वेद में चमत्कारी मानी जाने वाली कांस घास को अब तक साधारण समझते रहे हैं आप? जानिए कैसे यह अनदेखा पौधा गंभीर बीमारियों में दे सकता है राहत, वह भी बिना साइड इफेक्ट के!

By Divya Pawanr
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कांस घास, जिसे आयुर्वेद में Saccharum Spontaneum के नाम से जाना जाता है, अक्सर लोगों के आंगन या खेतों में खुद-ब-खुद उग आता है। सामान्यतः इसे एक बेकार और उग आने वाली घास समझ लिया जाता है, लेकिन आयुर्वेदिक ग्रंथों और परंपरागत ज्ञान में यह एक बहुपयोगी औषधीय पौधे के रूप में स्थापित है। इस पौधे का प्रयोग मूत्र विकार, रक्तस्राव, पाचन समस्याओं और महिला स्वास्थ्य से जुड़े कई रोगों में किया जाता रहा है। हाल ही में इसके संभावित उपयोग जोड़ों के दर्द और टीबी जैसे गंभीर रोगों के आयुर्वेदिक समर्थन उपचार में भी चर्चा में आए हैं।

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जोड़ों के दर्द-Joint Pain में कांस घास की संभावनाएं

आयुर्वेद के अनुसार, वात दोष के असंतुलन के कारण होने वाले जोड़ों के दर्द के उपचार में वातहर और मूत्रल गुणों वाले पौधों का प्रयोग किया जाता है। कांस घास में ये दोनों ही गुण पाए जाते हैं, जो शरीर से अपशिष्ट तत्वों को बाहर निकालकर सूजन को कम करने में सहायक होते हैं। कुछ पारंपरिक हकीम और वैद्य इसके पत्तों और जड़ों से बना काढ़ा गठिया-Arthritis जैसी समस्याओं में लाभकारी बताते हैं। हालांकि, यह एक सहायक उपचार हो सकता है न कि मुख्य चिकित्सा विकल्प।

टीबी-Tuberculosis के लिए आयुर्वेदिक दृष्टिकोण

टीबी एक गंभीर संक्रामक रोग है, जिसे आयुर्वेद में क्षय रोग के नाम से जाना गया है। आयुर्वेदिक चिकित्सा में ऐसे पौधों की खोज की जाती रही है जो रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने और संक्रमण से लड़ने में मदद करें। कांस घास में पाए जाने वाले कुछ प्राकृतिक तत्व शरीर को ठंडक प्रदान करते हैं, रक्तस्राव को रोकते हैं और श्वसन मार्ग को राहत देते हैं। हालांकि, वैज्ञानिक दृष्टिकोण से अभी तक यह स्पष्ट नहीं हुआ है कि कांस घास टीबी के इलाज में प्रत्यक्ष रूप से कितना प्रभावशाली है, लेकिन इसे सहायक जड़ी-बूटी के रूप में देखा जा सकता है।

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महिला स्वास्थ्य और पाचन में उपयोगी है यह घास

आयुर्वेद के अनुसार, कांस घास महिलाओं में स्तनपान की क्षमता बढ़ाने, अत्यधिक रक्तस्राव को रोकने और मासिक धर्म की अनियमितताओं में भी लाभकारी मानी गई है। इसका प्रयोग आयुर्वेदिक टॉनिक के रूप में किया जाता है जिससे शरीर में पोषण और शक्ति दोनों बढ़ती हैं। इसके अलावा, यह घास पाचन को बेहतर बनाने में भी सहायक मानी गई है, जिससे शरीर में वात और पित्त का संतुलन बना रहता है।

मूल्यांकन और सावधानियां

हालांकि कांस घास के कई आयुर्वेदिक फायदे हैं, लेकिन इसका उपयोग करते समय विशेषज्ञ की सलाह लेना अनिवार्य है। खासकर यदि आप किसी गंभीर रोग जैसे टीबी या गठिया से ग्रसित हैं, तो केवल घरेलू नुस्खों पर निर्भर न रहें। इसके प्रयोग से पहले चिकित्सकीय सलाह लेकर ही किसी प्रकार का सेवन या बाहरी उपयोग करें।

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