Small Pocket in Women’s Underwear: क्या आपने कभी ध्यान दिया है कि महिलाओं की अंडरवियर (Underwear) के अंदर की तरफ एक ‘छोटी जेब’ जैसी चीज़ होती है? बहुत सी महिलाएं इसे सिर्फ डिजाइन या फैशन का हिस्सा मान लेती हैं, तो कुछ इसे इमरजेंसी के लिए छोटा पॉकेट तक समझ लेती हैं। लेकिन सच्चाई इससे कहीं ज्यादा महत्वपूर्ण और स्वास्थ्य (Health) से जुड़ी हुई है।

इस ‘छोटी जेब’ को टेक्सटाइल की भाषा में ‘गस्सेट’ (Gusset) कहा जाता है। ये कोई एक्स्ट्रा पॉकेट नहीं, बल्कि एक बेहद जरूरी परत है, जो महिलाओं की हेल्थ, हाइजीन और आराम से सीधे तौर पर जुड़ी होती है। आइए जानते हैं कि यह गस्सेट आखिर क्यों लगाया जाता है और यह आपके शरीर को किन समस्याओं से बचाता है।
क्या होता है गस्सेट (Gusset)?
महिलाओं की अंडरवियर के बीचों-बीच जो अंदर की तरफ एक अतिरिक्त कपड़ा लगा होता है, उसे गस्सेट कहा जाता है। यह सामान्यत: 100% कॉटन का एक छोटा सा टुकड़ा होता है, जो बाकी अंडरवियर के कपड़े से अलग होता है। यह ना सिर्फ कपड़े की डबल लेयर प्रदान करता है, बल्कि कई प्रकार की इंफेक्शन और हाइजीन से जुड़ी समस्याओं को रोकने में अहम भूमिका निभाता है।
यह गस्सेट दिखने में भले ही एक ‘छोटी जेब’ जैसी लगे, लेकिन इसका उद्देश्य सिर्फ स्टिचिंग को पूरा करना या डिजाइन को बेहतर बनाना नहीं है, बल्कि यह महिलाओं को अंदरूनी संक्रमणों से सुरक्षा देता है।
गस्सेट का असली मकसद क्या है?
गस्सेट को अंडरवियर में खास तरीके से इस तरह डिजाइन किया जाता है कि यह नमी को सोख सके और अंदर की हवा को बाहर निकलने का रास्ता दे। इससे बैक्टीरिया और फंगस के पनपने की संभावना कम हो जाती है।
गर्मी या पसीने वाले मौसम में जब शरीर में नमी बढ़ती है, तब यह कॉटन लेयर पसीने को सोखकर त्वचा को सूखा बनाए रखती है। अगर यह लेयर ना हो, या सिंथेटिक फैब्रिक का इस्तेमाल हो, तो पसीना जमा होकर इन्फेक्शन, जलन, खुजली और यहां तक कि यूरीनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन (UTI) का कारण बन सकता है।
क्यों जरूरी है कॉटन गस्सेट वाली अंडरवियर पहनना?
विशेषज्ञों की मानें तो महिलाओं को हमेशा ऐसी अंडरवियर पहननी चाहिए जिसमें गस्सेट कॉटन का हो। यह खासतौर पर गर्मियों और पीरियड्स के दौरान बेहद जरूरी हो जाता है। फैशन के चलते महिलाएं अक्सर लेस या सिंथेटिक कपड़े की अंडरवियर चुन लेती हैं, जो देखने में आकर्षक जरूर होती है, लेकिन स्वास्थ्य के लिहाज़ से नुकसानदायक हो सकती है।
गस्सेट सिर्फ हाइजीन के लिए ही नहीं, बल्कि बेहतर फिटिंग और आराम के लिए भी ज़रूरी है। जब महिलाएं चलती-फिरती हैं, तब यह परत घर्षण को कम करती है और त्वचा को रगड़ से बचाती है। यह ना सिर्फ स्किन इरिटेशन को रोकता है, बल्कि दिनभर की एक्टिविटी के दौरान भी कंफर्ट बनाए रखता है।
क्यों नजरअंदाज न करें यह ‘छोटी जेब’?
Small Pocket in Women’s Underwear को अक्सर महिलाएं बिना सोचे-समझे नजरअंदाज कर देती हैं। लेकिन यह एक सोच-समझकर किया गया टेक्निकल डिज़ाइन है, जो फैशन से नहीं, बल्कि विज्ञान और सेहत से जुड़ा हुआ है। अंडरवियर खरीदते समय अगर यह गस्सेट ना हो, तो ऐसी अंडरवियर से बचना चाहिए, चाहे वो कितनी भी खूबसूरत क्यों न हो।
इस छोटे से फैब्रिक की मौजूदगी न केवल आपके स्वास्थ्य की रक्षा करती है, बल्कि यह आपको दिनभर की भागदौड़ में कंफर्ट भी देती है। कई बार महिलाएं इन्फेक्शन या स्किन एलर्जी की शिकायत करती हैं, लेकिन इसकी जड़ में गस्सेट की गैर-मौजूदगी हो सकती है।
कैसे चुनें सही अंडरवियर?
जब आप अगली बार अंडरवियर खरीदने जाएं, तो सिर्फ ब्रांड, डिजाइन या कलर पर ध्यान न दें। यह जरूर जांचें कि उसमें कॉटन गस्सेट लगा है या नहीं। कॉटन गस्सेट वाली अंडरवियर ज्यादा सुरक्षित, आरामदायक और हाइजीन फ्रेंडली होती है।
खासकर गर्मियों में, जब पसीना अधिक आता है और पीरियड्स के दौरान जब संक्रमण की संभावना बढ़ जाती है, तब इस ‘छोटी जेब’ का महत्व और भी बढ़ जाता है।
क्या ये फैशन का हिस्सा है?
इस सवाल का जवाब है — नहीं। गस्सेट या Small Pocket in Women’s Underwear फैशन का हिस्सा नहीं, बल्कि यह टेक्नोलॉजिकल और मेडिकल ज़रूरत के तौर पर विकसित किया गया डिज़ाइन है। यह फैब्रिक स्ट्रक्चर एक सोच-समझकर अपनाई गई संरचना है, जो ना केवल शरीर को आराम देती है, बल्कि स्वास्थ्य के लिहाज से भी पूरी तरह अनुकूल है।