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रेलवे स्टेशन के नाम हमेशा पीले रंग में ही क्यों लिखे जाते हैं? 90% लोग नहीं जानते इसका साइंटिफिक कारण!

हर बार जब आप ट्रेन से सफर करते हैं, तो क्या आपने सोचा है कि हर स्टेशन का नाम पीले बोर्ड पर ही क्यों लिखा होता है? इसका जवाब सिर्फ डिज़ाइन नहीं, बल्कि एक जबरदस्त वैज्ञानिक और मनोवैज्ञानिक कारण है जिसे जानकर आप भी चौंक जाएंगे!

By Divya Pawanr
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रेलवे स्टेशन के नाम पीले रंग में क्यों लिखे जाते हैं, यह सवाल हर उस यात्री के मन में आता है जो सफर के दौरान भारतीय रेलवे की प्लेटफॉर्म साइनबोर्ड को देखता है। अधिकांश स्टेशनों पर पीले रंग की पट्टी पर काले अक्षरों में स्टेशन का नाम लिखा होता है। यह केवल डिज़ाइन का मामला नहीं, बल्कि इसके पीछे एक वैज्ञानिक-सम्मत सोच है, जिसे समझना बेहद दिलचस्प है।

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पीले रंग की वैज्ञानिक विशेषता

पीला रंग दृश्य स्पेक्ट्रम में 570 से 590 नैनोमीटर की वेवलेंथ पर आता है, जो इसे अत्यधिक दृश्यता प्रदान करता है। इसी कारण यह रंग आसानी से और दूर से देखा जा सकता है, खासकर तब जब ट्रेन तेज़ गति से स्टेशन की ओर बढ़ रही हो। यह रंग लोको पायलट्स को स्टेशन की पहचान समय रहते करने में मदद करता है, जिससे ट्रेन की गति को नियंत्रित किया जा सके। बारिश, धुंध या रात के अंधेरे में भी पीला रंग साफ नजर आता है, जो इसे सुरक्षा की दृष्टि से उपयुक्त बनाता है।

काले अक्षरों का उपयोग क्यों?

किसी भी रंग पर लिखावट के लिए कंट्रास्ट यानी विरोधाभास बेहद जरूरी होता है। पीली पृष्ठभूमि पर काले अक्षर सबसे अधिक कंट्रास्ट प्रदान करते हैं, जिससे शब्दों को पढ़ना आसान होता है। यह संयोजन आंखों पर कम दबाव डालता है और यात्रियों को तुरंत जानकारी समझने में मदद करता है। वैज्ञानिक दृष्टिकोण से यह रंग संयोजन ऑप्टिकल क्लीयरिटी यानी दृश्य स्पष्टता के लिए सर्वोत्तम माना गया है।

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दिन और रात दोनों में दृश्यता

रेलवे स्टेशन के साइनबोर्ड ऐसे होने चाहिए जिन्हें दिन और रात, दोनों समय देखा जा सके। पीला रंग प्राकृतिक प्रकाश और कृत्रिम प्रकाश दोनों में चमकदार और स्पष्ट दिखता है। ट्रेनें रात में भी चलती हैं और हर समय यात्रियों की भीड़ होती है, ऐसे में स्टेशन का नाम हर कोण से और हर समय नजर आना चाहिए। यही कारण है कि रेलवे बोर्ड के लिए पीला रंग उपयुक्त है।

मनोवैज्ञानिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण

भारत में पीला रंग शुभता, ऊर्जा और संतुलन का प्रतीक माना जाता है। यह रंग मानसिक रूप से यात्रियों को सकारात्मक अनुभव प्रदान करता है। मनोविज्ञान के अनुसार यह रंग मन को आकर्षित करता है और ध्यान केंद्रित करने में सहायक होता है। ऐसे में जब कोई यात्री प्लेटफॉर्म पर उतरता है या ट्रेन के भीतर से बाहर देखता है, तो पीले रंग का बोर्ड उसकी नजर में सबसे पहले आता है। यह रंग यात्री के लिए सूचनात्मक संकेत की तरह कार्य करता है।

रेलवे की एकरूपता और मानकीकरण

भारतीय रेलवे ने दशकों पहले यह तय किया था कि सभी स्टेशनों के नाम पीले रंग की पृष्ठभूमि पर लिखे जाएंगे ताकि पूरे देश में एकरूपता बनी रहे। इससे न केवल यात्रियों को आदत हो जाती है बल्कि भ्रम की स्थिति भी नहीं बनती। एक समान रंग और डिजाइन का साइनबोर्ड रेलवे के मानकीकरण और ब्रांड पहचान की दृष्टि से भी अहम है।

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