
मोटापा (Obesity) आज के समय में एक वैश्विक स्वास्थ्य संकट बन चुका है। यह न केवल जीवन की गुणवत्ता को घटाता है, बल्कि डायबिटीज, हार्ट डिजीज और हाई ब्लड प्रेशर जैसी बीमारियों का मुख्य कारण भी बनता है। वैज्ञानिकों ने अब इस दिशा में एक बड़ी सफलता पाई है – एक ऐसा अनोखा टेस्ट, जो यह बता सकता है कि आप भविष्य में मोटापे की चपेट में आएंगे या नहीं। यह खोज न केवल प्रिवेंटिव हेल्थकेयर के क्षेत्र में क्रांतिकारी मानी जा रही है, बल्कि इससे जुड़ी संभावनाओं ने आम लोगों के लिए स्वास्थ्य के प्रति सजग होने के नए द्वार खोल दिए हैं।
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बीएमआई-BMI: मोटापे का पारंपरिक आकलन
अब तक मोटापे को मापने के लिए जिस तरीके को सबसे विश्वसनीय माना जाता रहा है, वह है बॉडी मास इंडेक्स यानी BMI। यह मापदंड किसी व्यक्ति की लंबाई और वजन के अनुपात के आधार पर निर्धारित करता है कि वह सामान्य, अधिक वजन वाला या मोटापे की श्रेणी में आता है। भारत जैसे देशों में यदि किसी का BMI 23 से 24.9 के बीच है तो उसे अधिक वजन वाला माना जाता है, और 25 से ऊपर के स्कोर को मोटापा माना जाता है। लेकिन BMI की एक सीमा है – यह यह नहीं बता पाता कि शरीर में वसा कहां और किस मात्रा में जमा है, या शरीर की मांसपेशियों का अनुपात क्या है।
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नई वैज्ञानिक खोज
अब वैज्ञानिकों ने इस समस्या को और गहराई से समझने के लिए एक बिल्कुल नया और उन्नत तरीका विकसित किया है। इस टेस्ट में शरीर के अंदर वसा जमा होने की प्रवृत्ति, चयापचय-Metabolism की दर और जैविक संकेतकों (Biomarkers) का विश्लेषण करके यह अनुमान लगाया जाता है कि व्यक्ति में मोटापा विकसित होने की संभावना कितनी है। इस वैज्ञानिक नवाचार का उद्देश्य है समय रहते लोगों को चेताना, ताकि वे जीवनशैली में जरूरी बदलाव कर सकें और भविष्य में मोटापे जैसी गंभीर स्थिति से बचा जा सके।
जीवनशैली में बदलाव से मोटापे की रोकथाम संभव
अगर यह टेस्ट संकेत देता है कि आपके शरीर में मोटापे की प्रवृत्ति है, तो इसका यह मतलब नहीं कि सब कुछ खत्म हो गया है। यह एक अवसर है समय रहते अपनी जीवनशैली को सही दिशा में मोड़ने का। पौष्टिक आहार, नियमित व्यायाम, पर्याप्त नींद और मानसिक तनाव से मुक्ति – ये सभी फैक्टर्स मिलकर मोटापे को दूर रखने में सहायक बन सकते हैं। साथ ही, नियमित हेल्थ चेकअप और डॉक्टर की सलाह से आगे की रणनीति तैयार की जा सकती है।
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