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Airport Closure Update: 24 एयरपोर्ट बंद! भारत-पाक तनाव के बीच सरकार का इमरजेंसी फैसला – जानें किन राज्यों पर असर!

भारत-पाक सीमा पर बढ़ते तनाव के चलते भारत सरकार ने 24 बड़े एयरपोर्ट को इमरजेंसी मोड में बंद कर दिया है। अमृतसर, श्रीनगर, जोधपुर, भुज जैसे एयरपोर्टों पर फ्लाइट्स रद्द – यात्रियों में मची खलबली! जानें किसे मिलेगा रिफंड, किन राज्यों में सबसे ज्यादा असर, और क्या यह फैसला और लंबा चलेगा?

By Divya Pawanr
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भारत-पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव के चलते भारत सरकार ने एक बड़ा और तत्काल निर्णय लिया है। Airport Closure Update के तहत 24 से अधिक एयरपोर्ट पर उड़ानों को अस्थायी रूप से निलंबित कर दिया गया है। यह फैसला न सिर्फ हवाई यात्रा से जुड़े यात्रियों को प्रभावित कर रहा है, बल्कि संबंधित राज्यों की आपूर्ति श्रृंखलाओं, व्यापारिक गतिविधियों और सुरक्षा रणनीतियों पर भी गहरा असर डाल रहा है।

सरकार ने यह इमरजेंसी कदम सुरक्षा कारणों से उठाया है, जिससे किसी भी तरह के अनचाहे हमलों, घुसपैठ या वायुसीमा उल्लंघन से देश की रक्षा की जा सके। बढ़ते सामरिक तनाव को देखते हुए नागरिक उड्डयन मंत्रालय, रक्षा मंत्रालय और गृह मंत्रालय के बीच लगातार समन्वय किया जा रहा है।

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किन राज्यों पर पड़ा सबसे अधिक असर

इस इमरजेंसी फैसले से जिन राज्यों के एयरपोर्ट प्रभावित हुए हैं, उनमें पंजाब, जम्मू-कश्मीर, लद्दाख, हिमाचल प्रदेश, राजस्थान और गुजरात प्रमुख हैं। अमृतसर, श्रीनगर, जम्मू, पठानकोट, जोधपुर, भुज जैसे सामरिक दृष्टि से संवेदनशील क्षेत्रों के एयरपोर्ट बंद कर दिए गए हैं। इससे उत्तर भारत और पश्चिमी भारत में हवाई यात्राएं ठप हो गई हैं।

एयरलाइनों ने उड़ानों को किया रद्द

एयर इंडिया, इंडिगो, स्पाइसजेट और विस्तारा जैसी बड़ी एयरलाइनों ने इन हवाई अड्डों से संचालित होने वाली सभी उड़ानों को तत्काल प्रभाव से रद्द कर दिया है। यात्रियों को टिकट रद्द करने, रीबुकिंग या रिफंड को लेकर भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। एयरलाइनों ने यात्रियों से आग्रह किया है कि वे यात्रा से पहले अपनी उड़ानों की स्थिति एयरलाइन वेबसाइट या कस्टमर केयर से जांच लें।

सुरक्षा एजेंसियों की चौकसी बढ़ी

सिविल एविएशन सुरक्षा ब्यूरो (BCAS) और केंद्रीय सुरक्षा एजेंसियों ने सभी प्रभावित एयरपोर्टों पर निगरानी और तलाशी अभियान बढ़ा दिया है। हवाई अड्डों पर विजिटर्स के प्रवेश पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया गया है। प्रत्येक उड़ान के लिए सेकेंडरी लैडर पॉइंट चेकिंग (SLPC) को अनिवार्य कर दिया गया है। सभी यात्रियों और कर्मचारियों को केवल वैध पहचान पत्र के साथ ही प्रवेश की अनुमति मिल रही है।

सरकार की ओर से क्या कहा गया

सरकारी सूत्रों के अनुसार, यह निर्णय अस्थायी है और स्थिति की समीक्षा के बाद ही कोई अगला कदम उठाया जाएगा। सरकार ने कहा है कि राष्ट्रीय सुरक्षा सर्वोपरि है और इन हवाई अड्डों को केवल सामरिक उड़ानों या आवश्यक आपातकालीन जरूरतों के लिए इस्तेमाल किया जाएगा। यह भी स्पष्ट किया गया कि आम नागरिकों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए ही यह निर्णय लिया गया है।

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ट्रैवल इंडस्ट्री पर असर

इस अचानक हुए फैसले से ट्रैवल एंड टूरिज्म इंडस्ट्री को गहरा झटका लगा है। जो लोग इन इलाकों में घूमने या धार्मिक स्थलों की यात्रा करने जा रहे थे, उनकी योजनाएं ठप हो गई हैं। होटल बुकिंग्स कैंसिल हो रही हैं और ट्रैवल एजेंट्स को भारी नुकसान का अंदेशा है। अमृतसर और श्रीनगर जैसे टूरिस्ट डेस्टिनेशन सबसे अधिक प्रभावित हुए हैं।

एयरलाइन्स को कितना होगा नुक्सान

भारत-पाक तनाव के चलते 24 एयरपोर्टों पर उड़ानों का संचालन अचानक रोक देने से एविएशन इंडस्ट्री, खासकर घरेलू एयरलाइनों को भारी नुकसान होने की आशंका है। एयर इंडिया, इंडिगो, स्पाइसजेट, विस्तारा जैसी प्रमुख कंपनियों की कई फ्लाइट्स रद्द हुई हैं, जिससे उनकी राजस्व आमदनी (Revenue Loss) पर सीधा प्रभाव पड़ा है।

प्रतिदिन करोड़ों का नुकसान

प्रत्येक हवाई अड्डे से औसतन 10 से 30 उड़ानें संचालित होती हैं। ऐसे में 24 एयरपोर्ट बंद होने से प्रतिदिन 500 से अधिक उड़ानों पर असर पड़ा है। यदि एक उड़ान से एवरेज ₹5-7 लाख का राजस्व मानें, तो अनुमानतः हर दिन ₹30 से ₹35 करोड़ तक का नुकसान हो सकता है। यह आंकड़ा समय के साथ और बढ़ेगा, यदि प्रतिबंध लंबा चला।

अतिरिक्त खर्च भी बढ़ा

उड़ानों के रद्द होने से एयरलाइनों को यात्रियों को रीबुकिंग, रिफंड और होटल रहने की व्यवस्था जैसे अतिरिक्त खर्च भी उठाने पड़ते हैं। साथ ही, कई विमान बेकार खड़े हैं, लेकिन उनकी रखरखाव, पार्किंग फीस, और स्टाफ की सैलरी जारी रहती है – जो नुकसान को और बढ़ाता है।

ब्रांड वैल्यू और उपभोक्ता विश्वास पर भी असर

लगातार उड़ानों के रद्द होने से यात्रियों के बीच एयरलाइनों की विश्वसनीयता पर असर पड़ता है। इससे भविष्य में टिकट बुकिंग में गिरावट आ सकती है। खासकर टूरिज्म और कॉर्पोरेट ट्रैवल से जुड़ी उड़ानों की रद्दीकरण से लॉन्ग टर्म नुकसान की आशंका भी है।

बोझ झेलना पड़ सकता है एलोसी

यदि स्थिति लंबी चली तो कई घरेलू एयरलाइंस कैश फ्लो संकट में आ सकती हैं और उन्हें बैंक कर्ज (Loan), एलोसी (Line of Credit) या सरकार से बेलआउट पैकेज की मांग करनी पड़ सकती है – जैसा कोविड-19 लॉकडाउन के दौरान देखा गया था

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