
Missile vs Fighter Jet की तुलना हमेशा से एक रोचक विषय रही है, खासकर जब आधुनिक युद्ध तकनीकों की बात आती है। दोनों ही हथियार अपने-अपने तरीके से शक्तिशाली हैं और किसी भी देश की सैन्य शक्ति का अहम हिस्सा माने जाते हैं। लेकिन सवाल ये उठता है कि इनमें से कौन ज्यादा विनाशक है – फाइटर जेट या मिसाइल? भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव के चलते मिसाइल और फाइटर जेट दोनों के हमले शुरू हो गए हैं, ऐसे में कौन सा हथियार युद्ध में अधिक विनाशकारी साबित हो सकता है, चलिए जानते हैं इसकी पूरी जानकारी।
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मिसाइल (Missile)
मिसाइलों का विकास इस उद्देश्य से हुआ है कि वे दुश्मन के ठिकानों पर सटीक और तीव्र हमला कर सकें। उदाहरण के तौर पर भारत की ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल, जो 2.8 Mach की रफ्तार से उड़ती है और 290 किलोमीटर तक सटीक हमला करने में सक्षम है, एक बेहतरीन मिसाल है। मिसाइलें फायर एंड फॉरगेट प्रणाली पर आधारित होती हैं, यानी एक बार लॉन्च हो जाने के बाद उन्हें इंसानी हस्तक्षेप की ज़रूरत नहीं होती।
इसके अलावा, मिसाइलों की एक बड़ी खासियत यह है कि ये बिना मानव जोखिम के ऑपरेट की जा सकती हैं, यानी युद्ध क्षेत्र में सैनिकों की जान को खतरे में डाले बिना दुश्मन को गंभीर क्षति पहुंचाई जा सकती है। इनकी कीमत भी फाइटर जेट की तुलना में काफी कम होती है। हालांकि, इनकी एक सीमा यह भी है कि एक बार लॉन्च होने के बाद इन्हें वापिस नहीं बुलाया जा सकता और ये दुश्मन की एयर डिफेंस प्रणाली द्वारा रोकी भी जा सकती हैं।
फाइटर जेट (Fighter Jet)
फाइटर जेट किसी भी देश की एयर फोर्स की रीढ़ होते हैं। ये सिर्फ हमला ही नहीं करते, बल्कि निगरानी, टोही, और एयर सुपीरियोरिटी जैसे कई मिशनों में माहिर होते हैं। इनकी सबसे बड़ी ताकत होती है इनकी बहुपरकीयता और मानव पायलट की निर्णय लेने की क्षमता। फाइटर जेट दुश्मन के क्षेत्र में घुसकर स्थिति को परखते हुए रणनीति बदल सकते हैं, जो कि किसी भी मिसाइल में संभव नहीं है।
इसके अलावा, फाइटर जेट पुनः उपयोग के लिए बनाए जाते हैं। एक सफल मिशन के बाद पायलट वापिस लौटकर अगली रणनीति की तैयारी करता है। हालाँकि, इनकी लागत बहुत अधिक होती है और पायलट की जान भी जोखिम में होती है। लेकिन जब बात एयर डिफेंस या दुश्मन के सटीक नष्टिकरण की होती है, तब फाइटर जेट की सटीकता और रणनीतिक लचीलापन उसे और अधिक ताकतवर बना देता है।
आधुनिक युद्ध में दोनों की भूमिका अहम
आज के युद्ध क्षेत्र में सिर्फ मिसाइल या सिर्फ फाइटर जेट से काम नहीं चलता। आधुनिक युद्ध में दोनों की संयोजन से ही प्रभावी सैन्य कार्रवाई संभव हो पाती है। मिसाइलें लंबी दूरी से सटीक हमला करती हैं, वहीं फाइटर जेट दुश्मन के इलाके में जाकर मिशन को अंजाम देते हैं और पल-पल बदलती स्थिति का मुकाबला कर सकते हैं।
उदाहरण के तौर पर, जब किसी आतंकी ठिकाने को सटीक रूप से नष्ट करना होता है, तब मिसाइल का उपयोग ज्यादा कारगर होता है। लेकिन अगर दुश्मन के हवाई हमले को रोकना हो या बॉर्डर पर निगरानी रखनी हो, तो फाइटर जेट सबसे आगे रहते हैं। इसी वजह से वायुसेना में मिसाइल और फाइटर जेट दोनों का संतुलित उपयोग होता है।
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Missile vs Fighter Jet से क्या गलतियां हो सकती हैं?
Missile vs Fighter Jet जैसे अत्याधुनिक हथियार जब युद्ध में तैनात किए जाते हैं, तो उनसे केवल ताकत का प्रदर्शन नहीं होता बल्कि गंभीर रणनीतिक जोखिम भी जुड़ जाते हैं। चाहे वो फाइटर जेट हो या मिसाइल, इन दोनों से जुड़ी कुछ आम गलतियां (mistakes) हैं जो किसी भी देश की सैन्य रणनीति को भारी नुकसान पहुंचा सकती हैं। आइए विस्तार से जानते हैं कि इनसे क्या गलतियां हो सकती हैं और किन हालात में ये घातक साबित हो सकती हैं।
गलत लक्ष्य पर हमला
मिसाइल के मामले में, एक बार लक्ष्य फिक्स हो गया और लॉन्च कर दिया गया, तो उसे वापस नहीं बुलाया जा सकता। अगर टारगेटिंग डेटा गलत हुआ, तो मिसाइल आम नागरिकों या नॉन-मिलिट्री इन्फ्रास्ट्रक्चर पर गिर सकती है, जिससे मानवाधिकार उल्लंघन और अंतरराष्ट्रीय आलोचना हो सकती है।
फाइटर जेट भी यदि गलत कोऑर्डिनेट्स पर बम गिरा दे, तो कोलेटरल डैमेज (Collateral Damage) की आशंका बढ़ जाती है।
तकनीकी विफलता
मिसाइलों में नेविगेशन या प्रोपल्शन सिस्टम फेल हो जाए, तो मिसाइल या तो रास्ता भटक सकती है या उड़ान के दौरान ही गिर सकती है। इसी तरह, फाइटर जेट में इंजन फेल हो जाना, एवियोनिक्स का खराब होना या हथियार प्रणाली की खराबी पायलट और मिशन दोनों को जोखिम में डाल सकता है।
जवाबी कार्रवाई की चूक
अगर फाइटर जेट समय पर मिसाइल का आकलन नहीं कर पाए या Countermeasure Systems जैसे फ्लेयर्स या जैमर विफल हो जाएं, तो उसे मिसाइल से टकराकर भारी नुकसान हो सकता है।
वहीं अगर एयर डिफेंस सिस्टम समय रहते मिसाइल को इंटरसेप्ट न कर पाए, तो महत्वपूर्ण सैन्य ठिकानों पर हमला सफल हो सकता है।
अधूरी खुफिया जानकारी
कई बार मिसाइल या फाइटर जेट का प्रयोग अधूरी या गलत खुफिया जानकारी पर किया जाता है। इससे न केवल मिशन फेल होता है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर शर्मिंदगी भी झेलनी पड़ती है। इस गलती से दुश्मन को मौका मिल जाता है कि वह काउंटर-अटैक करे।
इलेक्ट्रॉनिक जामिंग और साइबर अटैक
आज के दौर में Electronic Warfare एक बड़ा हथियार बन चुका है। अगर दुश्मन किसी मिसाइल या फाइटर जेट के सिस्टम को हैक कर ले या उसके सिग्नल को जाम कर दे, तो वो हथियार उसका अपना नियंत्रण खो सकता है और गलत दिशा में जा सकता है।
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