
Immunity Boosters केवल एक ट्रेंड नहीं, बल्कि आज की ज़रूरत बन चुके हैं। बदलते मौसम, बढ़ते प्रदूषण और वायरस से भरे वातावरण में रोग प्रतिरोधक क्षमता यानी इम्यूनिटी को मज़बूत रखना हमारे संपूर्ण स्वास्थ्य के लिए अनिवार्य है। आयुर्वेद इस दिशा में कई सरल, सुरक्षित और प्राकृतिक उपाय प्रदान करता है, जो शरीर को अंदर से मजबूत बनाने में सहायक होते हैं। यह सिर्फ शरीर को बीमारियों से लड़ने में सक्षम नहीं बनाता, बल्कि मानसिक और भावनात्मक संतुलन भी देता है।
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हर्बल काढ़ा या आयुष क्वाथ

तुलसी, दालचीनी, काली मिर्च, सौंठ और मुनक्का जैसे तत्वों से बना आयुष क्वाथ या हर्बल काढ़ा शरीर को संक्रमण से लड़ने की ताकत देता है। इसका नियमित सेवन ना केवल सर्दी-जुकाम से बचाता है, बल्कि फेफड़ों को भी मज़बूत बनाता है। यदि इसे गुड़ या नींबू के रस के साथ लिया जाए, तो स्वाद और प्रभाव दोनों में वृद्धि होती है। यह उपाय विशेष रूप से उन लोगों के लिए फायदेमंद है जो बार-बार मौसमी बीमारियों की चपेट में आते हैं।
च्यवनप्राश
आंवला, गिलोय, अश्वगंधा और अन्य दुर्लभ जड़ी-बूटियों से तैयार च्यवनप्राश को आयुर्वेद में रसायन माना गया है। यह न केवल इम्यूनिटी को बढ़ाता है, बल्कि ऊर्जा, पाचन और सांस संबंधी समस्याओं में भी फायदेमंद है। रोज़ सुबह खाली पेट एक चम्मच च्यवनप्राश लेना एक आदत के रूप में रोग प्रतिरोधक क्षमता को लंबे समय तक बनाए रख सकता है। मधुमेह से पीड़ित लोग इसका शुगर-फ्री विकल्प भी चुन सकते हैं।
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गोल्डन मिल्क

हल्दी वाला दूध, जिसे गोल्डन मिल्क कहा जाता है, आयुर्वेद का अत्यंत प्रभावशाली नुस्खा है। हल्दी में मौजूद करक्यूमिन शरीर की सूजन को कम करता है और वायरस से रक्षा करता है। रात में सोने से पहले इसका सेवन करने से नींद अच्छी आती है और शरीर को आराम मिलता है। यह विशेष रूप से उन लोगों के लिए फायदेमंद है जो तनाव के कारण इम्यूनिटी में गिरावट महसूस करते हैं।
नस्य और ऑयल पुलिंग
नस्य यानी नथुनों में तिल का तेल या घी डालना और ऑयल पुलिंग यानी तिल या नारियल तेल को मुंह में घुमा कर बाहर निकालना दो ऐसे आयुर्वेदिक उपाय हैं जो प्रतिरक्षा प्रणाली के साथ-साथ ओरल और रेस्पिरेटरी हेल्थ को भी मजबूत करते हैं। सुबह-सुबह ये अभ्यास करने से श्वसन मार्ग साफ रहता है और शरीर का डिटॉक्स भी होता है। आयुर्वेद के अनुसार, ये दोनों उपाय वात और कफ विकारों को संतुलित करते हैं।
योग और प्राणायाम

आयुर्वेद और योग एक-दूसरे के पूरक हैं। प्राणायाम, विशेष रूप से अनुलोम-विलोम और कपालभाति, फेफड़ों की क्षमता बढ़ाते हैं और शरीर को अधिक ऑक्सीजन उपलब्ध कराते हैं। यह सेलुलर लेवल पर इम्यून सेल्स की क्रियाशीलता को बेहतर बनाता है। नियमित योगाभ्यास न केवल शारीरिक बल्कि मानसिक स्वास्थ्य को भी बेहतर करता है, जो समग्र इम्यूनिटी को मज़बूत करता है।
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