
माइग्रेन-Migraine एक ऐसी समस्या है जो न केवल सिरदर्द का कारण बनती है बल्कि व्यक्ति की दिनचर्या और मानसिक स्वास्थ्य को भी बुरी तरह प्रभावित कर सकती है। यह एक न्यूरोलॉजिकल स्थिति है जिसमें सिर के एक ओर तीव्र दर्द, मतली, उल्टी, ध्वनि और प्रकाश के प्रति संवेदनशीलता जैसे लक्षण शामिल होते हैं। माइग्रेन का इलाज अक्सर दवाओं के जरिए किया जाता है, लेकिन कई मामलों में घरेलू उपायों से भी इससे राहत पाई जा सकती है। ऐसे में कुछ असरदार देसी उपायों को अपनाकर न केवल माइग्रेन के लक्षणों को नियंत्रित किया जा सकता है, बल्कि इसका प्रभाव भी कम किया जा सकता है।
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ठंडी सिकाई

माइग्रेन के दौरान सबसे अधिक कारगर उपायों में से एक है ठंडी सिकाई। बर्फ के टुकड़े को कपड़े में लपेटकर माथे पर रखने से दर्द की तीव्रता घटती है और रक्त संचार नियंत्रित होता है। यह उपाय खास तौर पर तब फायदेमंद होता है जब माइग्रेन धड़कन या सूजन के साथ आता है। ठंडी सिकाई मस्तिष्क की नसों को शीतलता देकर सिरदर्द में राहत पहुंचाने में बेहद उपयोगी सिद्ध होती है।
लैवेंडर और पेपरमिंट के तेल

लैवेंडर-Lavender और पेपरमिंट-Peppermint तेल माइग्रेन के कारण होने वाले तनाव और सिरदर्द से निजात पाने में बहुत मदद करते हैं। लैवेंडर की खुशबू मस्तिष्क को शांत करती है और पेपरमिंट में मौजूद मेंथॉल नसों को ठंडक पहुंचाकर सिरदर्द को कम करता है। इन दोनों तेलों को कनपटियों और माथे पर हल्के हाथों से मालिश करने से माइग्रेन के लक्षणों में तुरंत कमी आती है।
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अदरक की चाय

माइग्रेन के साथ अक्सर मतली और उल्टी जैसे लक्षण भी जुड़ जाते हैं। अदरक-Ginger एक ऐसा घरेलू उपाय है जो इन दोनों समस्याओं को एक साथ नियंत्रित कर सकता है। अदरक में पाए जाने वाले एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण मस्तिष्क की सूजन को कम करते हैं, जिससे सिरदर्द में राहत मिलती है। अदरक की गर्म चाय न केवल स्वादिष्ट होती है, बल्कि यह माइग्रेन से जुड़े मतली और पेट की असहजता को भी काफी हद तक दूर करती है।
योग और ध्यान

मानसिक तनाव और थकान माइग्रेन को बढ़ावा देने वाले सबसे प्रमुख कारणों में से हैं। ऐसे में योग और मेडिटेशन-Meditation जैसे उपाय लंबे समय तक माइग्रेन की रोकथाम में सहायक होते हैं। नियमित प्राणायाम, शवासन और ध्यान के अभ्यास से मानसिक तनाव कम होता है, जिससे माइग्रेन की तीव्रता और बारंबारता दोनों में गिरावट आती है। यह उपाय शरीर और मन दोनों के लिए संतुलन लाते हैं और पूरी जीवनशैली को संतुलित बनाते हैं।
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मैग्नीशियम और विटामिन B2 से पोषण के जरिए राहत
शरीर में मैग्नीशियम-Magnesium और विटामिन B2 (राइबोफ्लेविन) की कमी भी माइग्रेन के मुख्य कारणों में से एक मानी जाती है। इन पोषक तत्वों की भरपाई के लिए हरी पत्तेदार सब्जियों, नट्स और साबुत अनाज को अपने आहार में शामिल करना चाहिए। शोध बताते हैं कि मैग्नीशियम का नियमित सेवन माइग्रेन के एपिसोड की संख्या को कम करता है, जबकि विटामिन B2 ऊर्जा के उत्पादन में सहायता कर मस्तिष्क को सक्रिय बनाए रखता है।