
Skin care myths या त्वचा संबंधी गलत धारणाएं आज भी बड़े पैमाने पर फैली हुई हैं। सोशल मीडिया, घरेलू नुस्खों और अधूरी जानकारी के चलते लोग कई बार ऐसी स्किन केयर प्रैक्टिस फॉलो करने लगते हैं जो उनके चेहरे को फायदा पहुंचाने की बजाय नुकसान करती हैं। चाहे वह “प्राकृतिक उत्पाद हमेशा सुरक्षित होते हैं” जैसी बात हो या “तैलीय त्वचा को मॉइस्चराइज़र की ज़रूरत नहीं”—इन गलतफहमियों को समझना बेहद ज़रूरी है, ताकि आप अपनी त्वचा को स्वस्थ और ग्लोइंग बनाए रख सकें।
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हर प्राकृतिक चीज़ स्किन के लिए फायदेमंद नहीं
Skin care के नाम पर प्राकृतिक उत्पादों की लोकप्रियता खूब बढ़ी है। लोग मानते हैं कि जो भी नेचुरल है, वह त्वचा के लिए बेहतर होगा। लेकिन सच्चाई यह है कि हर प्राकृतिक अवयव स्किन फ्रेंडली नहीं होता। नींबू, टी ट्री ऑयल या दालचीनी जैसी चीजें कुछ लोगों की स्किन पर जलन, रैशेज़ या एलर्जी पैदा कर सकती हैं। इसलिए स्किन पर कुछ भी लगाने से पहले उसकी जांच और स्किन टाइप के हिसाब से इस्तेमाल करना ज़रूरी है।
टैनिंग बेड या आर्टिफिशियल टैनिंग खतरनाक
यह धारणा कि टैनिंग बेड सूरज की किरणों की तुलना में सुरक्षित हैं, पूरी तरह गलत है। टैनिंग बेड से निकलने वाली UV किरणें स्किन को उतना ही नुकसान पहुंचाती हैं जितना सूरज की तेज़ धूप। इससे स्किन कैंसर, समय से पहले झुर्रियां और पिग्मेंटेशन का खतरा बढ़ता है। त्वचा के रंग को बदलने के लिए टैनिंग करना एक कॉस्मेटिक निर्णय हो सकता है, लेकिन यह हेल्थ रिस्क के साथ आता है।
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गर्म पानी से चेहरा धोने की धारणा भी ग़लत है
कई लोग मानते हैं कि गर्म पानी से चेहरा धोने से रोमछिद्र खुल जाते हैं और स्किन अच्छी तरह साफ हो जाती है। जबकि वैज्ञानिक दृष्टिकोण से देखा जाए तो रोमछिद्रों में कोई मांसपेशी नहीं होती जिससे वे खुल या बंद हो सकें। गर्म पानी से त्वचा की प्राकृतिक नमी खत्म हो सकती है जिससे ड्राइनेस और इरिटेशन बढ़ता है। इसलिए चेहरा धोने के लिए हमेशा गुनगुना पानी बेहतर विकल्प होता है।
तैलीय त्वचा को भी चाहिए मॉइस्चराइज़र
बहुत से लोग ये सोचते हैं कि ऑयली स्किन वालों को मॉइस्चराइज़र की जरूरत नहीं होती। लेकिन सच्चाई यह है कि जब आप त्वचा को हाइड्रेशन नहीं देते, तो स्किन और ज्यादा तेल पैदा करती है। इससे ब्रेकआउट और मुहांसे बढ़ सकते हैं। हल्का, नॉन-कॉमेडोजेनिक मॉइस्चराइज़र ऑयली स्किन के लिए भी जरूरी है जिससे स्किन बैलेंस में रहती है।
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