वीमेन हेल्थ

Eclampsia in Pregnancy: प्रेग्नेंसी में ब्लड प्रेशर से जुड़ी खतरनाक स्थिति – लक्षण, कारण और बचाव

अगर आप या कोई प्रियजन गर्भवती हैं और हाई ब्लड प्रेशर की शिकायत है, तो यह लेख आपके लिए जीवन रक्षक हो सकता है। जानिए कैसे प्रीक्लेम्पसिया से बढ़कर बनती है एक्लेम्पसिया और क्यों समय रहते इसकी पहचान और इलाज जरूरी है। पढ़िए यह जरूरी जानकारी अब, क्योंकि एक कदम बचा सकता है दो जानें।

By Divya Pawanr
Published on
Eclampsia in Pregnancy: प्रेग्नेंसी में ब्लड प्रेशर से जुड़ी खतरनाक स्थिति – लक्षण, कारण और बचाव

गर्भावस्था के दौरान उच्च रक्तचाप (High Blood Pressure) से जुड़ी सबसे गंभीर और जानलेवा स्थिति होती है एक्लेम्पसिया (Eclampsia)। यह बीमारी तब विकसित होती है जब प्रीक्लेम्पसिया (Preeclampsia) का उपचार समय पर न हो और महिला को दौरे (Seizures) आने लगें। यह स्थिति गर्भवती महिला और उसके अजन्मे बच्चे दोनों के जीवन के लिए अत्यधिक जोखिमपूर्ण बन जाती है। प्रेग्नेंसी के 20वें सप्ताह के बाद, प्रसव के समय या प्रसव के तुरंत बाद भी यह स्थिति उत्पन्न हो सकती है।

यह भी देखें: महिलाओं के लिए वरदान है कद्दू के बीज! इन 5 समस्याओं से छुटकारा दिलाने में मददगार

लक्षण जो संकेत देते हैं कि मामला गंभीर है

एक्लेम्पसिया के लक्षण धीरे-धीरे भी आ सकते हैं और अचानक भी। लगातार तेज सिरदर्द, धुंधली या दोहरी दृष्टि, उपरी पेट में तेज दर्द विशेषकर दाहिनी तरफ, अचानक उल्टी या मिचली, हाथों और पैरों में अत्यधिक सूजन, और मूत्र की मात्रा में कमी इस बीमारी के प्रारंभिक संकेत हो सकते हैं। यदि इन लक्षणों के साथ दौरे पड़ने लगें तो यह एक मेडिकल इमरजेंसी है।

एक्लेम्पसिया के पीछे छिपे कारण और जोखिम कारक

हालांकि एक्लेम्पसिया का सटीक कारण अभी तक स्पष्ट नहीं हो पाया है, लेकिन कुछ स्थितियाँ और मेडिकल इतिहास इसके खतरे को बढ़ा सकते हैं। पहली बार गर्भवती महिला, 17 साल से कम या 35 साल से अधिक की उम्र में प्रेग्नेंसी, मोटापा (Obesity), जुड़वा या अधिक भ्रूण की गर्भावस्था, डायबिटीज (Diabetes), हाई ब्लड प्रेशर, किडनी संबंधी बीमारियाँ और पारिवारिक इतिहास – ये सभी कारक इस गंभीर स्थिति के संभावित कारण हो सकते हैं।

यह भी देखें: कान की मसाज से स्ट्रेस और अनिद्रा का इलाज! जानिए इसके और भी बेहतरीन फायदे

यह भी देखें पीरियड्स के दर्द से तुरंत पायें राहत! आजमाएं ये 5 असरदार घरेलू नुस्खे

पीरियड्स के दर्द से तुरंत पायें राहत! आजमाएं ये 5 असरदार घरेलू नुस्खे

निदान कैसे होता है और क्यों है यह ज़रूरी

एक्लेम्पसिया का निदान डॉक्टर शारीरिक लक्षणों के साथ-साथ कई जांचों के माध्यम से करते हैं। ब्लड प्रेशर की नियमित जांच, मूत्र में प्रोटीन की मात्रा (Proteinuria), रक्त परीक्षण द्वारा किडनी और लीवर फंक्शन तथा प्लेटलेट्स की स्थिति का मूल्यांकन किया जाता है। समय रहते सही जांच और निगरानी इस बीमारी के प्रभाव को कम कर सकती है।

इलाज जो मां और बच्चे दोनों की जान बचा सकता है

एक्लेम्पसिया का सबसे प्रभावी उपचार प्रसव (Delivery) है। यदि गर्भावस्था 37 सप्ताह या उससे अधिक की हो, तो डॉक्टर प्रसव की सलाह देते हैं। दौरे रोकने के लिए मैग्नीशियम सल्फेट (Magnesium Sulfate) दिया जाता है, वहीं रक्तचाप को नियंत्रित करने के लिए एंटीहाइपरटेंसिव (Antihypertensive) दवाएं उपयोग में लाई जाती हैं। गंभीर मामलों में ICU निगरानी और तत्काल डिलीवरी आवश्यक हो सकती है।

बचाव के तरीके जो एक्लेम्पसिया को रोक सकते हैं

एक्लेम्पसिया जैसी खतरनाक स्थिति से बचने का सबसे अच्छा तरीका है सावधानी और नियमित निगरानी। प्रेग्नेंसी के दौरान ब्लड प्रेशर की नियमित जांच, संतुलित और पोषक तत्वों से भरपूर आहार, तनाव से दूर रहना और समय पर डॉक्टर की सलाह लेना बेहद आवश्यक है। जिन महिलाओं को प्रीक्लेम्पसिया की संभावना हो, उन्हें शुरू से ही खास निगरानी में रखा जाना चाहिए।

यह भी देखें: Skin Care Myths: क्या आप भी कर रहे हैं स्किन के नाम पर ये 7 बड़ी गलतियां? जानिए सच्चाई

यह भी देखें सरसों का तेल बढ़ाएगा ब्रेस्ट साइज! जानिए सही इस्तेमाल का तरीका और फायदे

सरसों का तेल बढ़ाएगा ब्रेस्ट साइज! जानिए सही इस्तेमाल का तरीका और फायदे

Photo of author

Leave a Comment

हमारे Whatsaap ग्रुप से जुड़ें