
30 की उम्र पार करने के बाद भी Acne या मुंहासों की समस्या कई लोगों के लिए परेशानी बनी रहती है। यह आमतौर पर टीनएज की समस्या मानी जाती है, लेकिन अब यह वयस्कों यानी Adults में भी तेजी से बढ़ रही है। खासकर महिलाएं इस समस्या से ज्यादा प्रभावित हो रही हैं। कई स्टडीज़ और रिसर्च में यह बात सामने आई है कि 30 की उम्र के बाद भी मुंहासे होने की कई वैज्ञानिक और लाइफस्टाइल से जुड़ी वजहें हो सकती हैं।
वयस्कों में क्यों बढ़ रही है मुंहासों की समस्या?
Advanced Dermatology द्वारा किए गए एक हालिया सर्वे के मुताबिक, अमेरिका में 30 की उम्र के करीब 41% लोग मुंहासों से परेशान हैं। इनमें से आधे से ज्यादा लोगों को हैरानी थी कि इस उम्र में भी उन्हें Acne की परेशानी हो रही है। भारत में भी स्थितियां इससे अलग नहीं हैं।
Indian Journal of Clinical and Experimental Dermatology में प्रकाशित एक स्टडी के अनुसार, भारत में 6409 मरीजों पर रिसर्च की गई, जिसमें 45% पुरुष और 55% महिलाएं Acne से पीड़ित पाई गईं। इनकी औसत उम्र 24.64 वर्ष थी, लेकिन 25 साल से ऊपर के मरीजों की संख्या भी काफी अधिक थी। एक अन्य स्टडी, जो PubMed पर प्रकाशित हुई, में बताया गया कि भारत में 25 से ज्यादा उम्र के 110 वयस्कों पर रिसर्च की गई, जिसमें से 62.7% मरीज 26 से 30 वर्ष की उम्र के थे। खास बात यह रही कि इनमें 80.9% महिलाएं और केवल 19.1% पुरुष शामिल थे।
हार्मोनल बदलाव है सबसे बड़ी वजह
महिलाओं में मुंहासों की प्रमुख वजह Hormonal Change माना गया है। पीरियड्स, Pregnancy और Menopause जैसे फेज़ हार्मोनल असंतुलन (Hormonal Imbalance) को जन्म देते हैं, जिससे स्किन में Sebum यानी ऑयल का उत्पादन बढ़ जाता है। इससे रोमछिद्र बंद हो जाते हैं और मुंहासे उभर आते हैं।
Tufts Medicine के अनुसार, जॉलाइन यानी जबड़े की रेखा पर होने वाले मुंहासे हार्मोनल गड़बड़ी का संकेत हो सकते हैं। पुरुषों में भी Hormonal Therapy या कुछ दवाओं के कारण Acne हो सकता है। इस तरह, 30 की उम्र के बाद भी हार्मोनल उतार-चढ़ाव मुंहासों की बड़ी वजह बन जाता है।
तनाव और लाइफस्टाइल भी हैं जिम्मेदार
Modern Lifestyle और तनाव भी Acne की गंभीर वजहों में से हैं। Prevention Magazine में प्रकाशित एक स्टडी के अनुसार, तनाव शरीर में Cortisol नामक हार्मोन के स्तर को बढ़ा देता है, जो स्किन में सूजन और Excess Oil Production को बढ़ाता है। 30 की उम्र में करियर, फैमिली और Financial Responsibilities के चलते तनाव अधिक होता है, जिससे Skin Problems बढ़ जाती हैं।
अगर आपके माता-पिता को भी मुंहासों की समस्या रही है, तो आपको इसके होने का खतरा 2.91 गुना बढ़ जाता है। यानी Genetics भी एक महत्वपूर्ण फैक्टर है।
खानपान और कॉस्मेटिक्स का प्रभाव
High Glycemic Index वाले Foods जैसे चीनी, चॉकलेट, पेस्ट्री और डेयरी प्रोडक्ट जैसे दूध, पनीर भी मुंहासों को बढ़ा सकते हैं। ये तत्व इंसुलिन लेवल को प्रभावित करते हैं, जिससे स्किन में तेल का स्तर बढ़ता है और रोमछिद्र बंद हो जाते हैं।
इसके अलावा, भारत में Cosmetics Products के अधिक इस्तेमाल से भी Acne की समस्या बढ़ी है। फाउंडेशन, हेवी मेकअप और क्रीम्स रोमछिद्रों को बंद कर देती हैं, जिससे स्किन ब्रेकआउट्स होने लगते हैं।
क्या है समाधान?
Advanced Dermatology के एक्सपर्ट्स का मानना है कि मुंहासों से राहत पाने के लिए दिन में दो बार हल्के Cleanser से चेहरा धोना चाहिए। गुनगुने पानी का उपयोग करें और त्वचा को रगड़ने से बचें।
Salicylic Acid, Benzoyl Peroxide और Adapalene युक्त Products स्किन के रोमछिद्रों को खोलने और सूजन कम करने में मदद करते हैं। साथ ही, तनाव कम करने के लिए मेडिटेशन, योग और पर्याप्त नींद जरूरी है।
इसके अलावा, डेयरी और High Sugar Foods से परहेज और स्किन-फ्रेंडली डायट फॉलो करना भी फायदेमंद साबित हो सकता है।