
बॉडी और माइंड को डीटॉक्स करना आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में बेहद जरूरी हो गया है। लगातार तनाव, अनियमित खानपान और प्रदूषण हमारे शरीर और दिमाग दोनों को गहराई से प्रभावित करते हैं। आयुर्वेद-Ayurveda में हजारों वर्षों से चली आ रही शुद्धिकरण तकनीकों के माध्यम से आप बिना किसी साइड इफेक्ट के खुद को फिर से ऊर्जावान और स्वस्थ बना सकते हैं। यह लेख एक अनुभवी आयुर्वेदिक दृष्टिकोण से उन प्रमुख उपायों को विस्तार से पेश करता है जो शरीर और मन दोनों की सफाई के लिए प्रभावी माने जाते हैं।
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नेति और नस्य से नासिका और मस्तिष्क की शुद्धि

नेति और नस्य क्रिया शरीर की ऊपरी श्वसन प्रणाली को साफ करने की परंपरागत विधियां हैं। नेति में गुनगुने नमक मिले पानी को नेति पॉट के माध्यम से एक नथुने से डालकर दूसरे से निकाला जाता है। यह तकनीक न केवल धूल और प्रदूषण को साफ करती है बल्कि सिरदर्द, एलर्जी और साइनस की समस्याओं को भी दूर करती है। वहीं, नस्य में औषधीय तेल (जैसे तिल का तेल या अणु तेल) को नाक में डाला जाता है, जिससे मस्तिष्क की ताजगी बनी रहती है और मानसिक स्पष्टता आती है।
धौती और नौली क्रिया से पेट और पाचन की सफाई
धौती क्रिया एक अत्यंत प्रभावशाली योगिक तकनीक है, जिसमें गुनगुना पानी पीकर उल्टी के माध्यम से पेट की सफाई की जाती है। इससे गैस, एसिडिटी और कब्ज जैसी समस्याओं में राहत मिलती है। दूसरी ओर, नौली क्रिया से पेट की मांसपेशियों की मालिश होती है, जो न केवल आंतरिक अंगों को टोन करती है बल्कि पाचन शक्ति को भी बेहतर बनाती है। ये दोनों क्रियाएं नियमित रूप से करने से शरीर के भीतर जमा टॉक्सिन्स-Toxins बाहर निकल जाते हैं।
कपालभाति प्राणायाम से ऊर्जा और फोकस में सुधार

कपालभाति एक प्रसिद्ध प्राणायाम तकनीक है, जिसमें तेज़ गति से श्वास को बाहर निकालते हुए फेफड़ों और मस्तिष्क की सफाई की जाती है। यह अभ्यास शरीर में प्राण ऊर्जा का संचार करता है, रक्त संचार को बेहतर बनाता है और मानसिक थकान को कम करता है। इसके नियमित अभ्यास से डिप्रेशन, स्ट्रेस और फोगी माइंड जैसी स्थितियों में सुधार आता है, जिससे मानसिक स्थिरता मिलती है।
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आयुर्वेदिक हर्बल रेमेडीज़ से आंतरिक शुद्धि
आयुर्वेद में कुछ विशेष हर्बल फॉर्मूले ऐसे हैं जो शरीर की गहराई से सफाई करते हैं। त्रिफला चूर्ण को रात को सोने से पहले गुनगुने पानी के साथ लेने से आंतों की सफाई होती है और कब्ज जैसी समस्याओं से राहत मिलती है। सुबह खाली पेट नींबू-शहद युक्त गर्म पानी पीना मेटाबोलिज्म को तेज करता है और टॉक्सिन्स को बाहर निकालता है। ये उपाय ना केवल शारीरिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाते हैं, बल्कि चेहरे पर चमक भी लाते हैं।
अभ्यंग और ध्यान से बाह्य और आंतरिक संतुलन

अभ्यंग यानी आयुर्वेदिक तेल मालिश, तिल या नारियल तेल से की जाती है। यह प्रक्रिया न केवल त्वचा को पोषण देती है बल्कि रक्त संचार को भी सक्रिय करती है, जिससे थकान और जकड़न से राहत मिलती है। वहीं ध्यान यानी मेडिटेशन से मानसिक शांति मिलती है। रोज़ाना कुछ समय ध्यान में बिताना, मन को स्थिर करता है और आपको दिनभर के तनाव से मुक्त करता है।
योग से जीवनशैली में संतुलन
योग न केवल शरीर को लचीलापन देता है, बल्कि माइंडफुलनेस के माध्यम से जीवन में स्थिरता लाता है। सूर्य नमस्कार, भुजंगासन, त्रिकोणासन जैसे योगासन शरीर को डिटॉक्स करने में मदद करते हैं। नियमित योग अभ्यास से नींद की गुणवत्ता बढ़ती है, वजन नियंत्रित रहता है और शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होती है।
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