
आयुर्वेद में शीशम की पत्तियों को संजीवनी तुल्य माना जाता है। जिस तरह इसकी लकड़ी मजबूत होती है, उसी प्रकार इसकी पत्तियों में भी अनेक औषधीय गुण समाहित होते हैं। आयुर्वेद के अनुसार, शीशम की पत्तियां पाचन तंत्र को मजबूत बनाने, हड्डियों की मजबूती बढ़ाने और कई प्रकार के संक्रमण से बचाव करने में मददगार होती हैं। आज हम आपको शीशम की पत्तियों के विशेष गुणों और इसके सेवन से होने वाले फायदों के बारे में विस्तार से बताएंगे।
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पाचन तंत्र के लिए वरदान

मेडिसिनल प्लांट एक्सपर्ट शुभम के अनुसार, शीशम की पत्तियों में ऐसे प्राकृतिक तत्व पाए जाते हैं, जो पाचन तंत्र को मजबूत बनाने में सहायक होते हैं। कब्ज, गैस, अपच और एसिडिटी जैसी समस्याओं से राहत दिलाने में यह अत्यंत प्रभावी मानी जाती हैं। यदि नियमित रूप से इन पत्तियों का काढ़ा बनाकर सेवन किया जाए, तो पाचन क्रिया दुरुस्त रहती है और पेट संबंधी समस्याएं दूर हो जाती हैं।
डायबिटीज़ और त्वचा रोगों में लाभकारी
शीशम की पत्तियों का काढ़ा डायबिटीज़ के मरीजों के लिए विशेष लाभकारी होता है। इसमें ऐसे एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं, जो शरीर में शुगर लेवल को नियंत्रित करने में सहायक होते हैं। इसके अलावा, यह त्वचा से जुड़ी समस्याओं को भी दूर करने में कारगर साबित होती हैं। यदि इन पत्तियों को उबालकर उनका पानी चेहरे पर लगाया जाए, तो दाग-धब्बे, झाइयां और मुंहासे धीरे-धीरे कम हो जाते हैं।
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दांतों और मसूड़ों के लिए फायदेमंद

शीशम की टहनियों का दातून प्राचीन काल से ही दांतों की सफाई के लिए उपयोग किया जाता रहा है। इसमें प्राकृतिक एंटीबैक्टीरियल गुण होते हैं, जो दांतों की सफेदी बनाए रखते हैं और मसूड़ों को मजबूत करने में मदद करते हैं। नियमित रूप से शीशम की टहनियों से दांत साफ करने से कैविटी, मसूड़ों की सूजन और मुंह की दुर्गंध जैसी समस्याएं दूर होती हैं।
हड्डियों की मजबूती और दर्द निवारक गुण
आयुर्वेद विशेषज्ञों के अनुसार, शीशम की पत्तियों का उपयोग हड्डियों की मजबूती बढ़ाने के लिए किया जाता है। इनमें प्राकृतिक एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटी-बैक्टीरियल गुण होते हैं, जो शरीर के दर्द को कम करने और हड्डियों को स्वस्थ बनाए रखने में मदद करते हैं। यह विशेष रूप से गठिया और जोड़ों के दर्द के मरीजों के लिए लाभकारी मानी जाती हैं।
संक्रमण से बचाव और रोग प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि

शीशम की पत्तियों में मौजूद एंटीबैक्टीरियल और एंटीवायरल तत्व शरीर को संक्रमण से बचाने में सहायक होते हैं। नियमित रूप से इसका सेवन करने से रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, जिससे शरीर सामान्य सर्दी-जुकाम और अन्य वायरल संक्रमणों से बचा रहता है।
सावधानियां और सही उपयोग
हालांकि शीशम की पत्तियों का सेवन आमतौर पर सुरक्षित माना जाता है, लेकिन किसी भी औषधीय पौधे का अत्यधिक उपयोग हानिकारक हो सकता है। इसलिए बेहतर परिणामों के लिए इसका उपयोग किसी अनुभवी चिकित्सक या आयुर्वेदाचार्य की सलाह लेकर ही करें।
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