
दांतों का दर्द और सफेद बालों की समस्या आजकल आम हो चुकी है, लेकिन आयुर्वेद में इसके लिए एक असरदार उपाय मौजूद है। (Cordia myxa) नामक पौधा, जो कई जगहों पर देसी बेर के नाम से भी जाना जाता है, दांतों और बालों से जुड़ी परेशानियों को जड़ से खत्म करने में मददगार माना गया है। इसके पत्ते, फल और छाल में ऐसे गुण मौजूद हैं जो कई रोगों को दूर करने की शक्ति रखते हैं।
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लसोड़ा का दांतों की समस्याओं में प्रयोग
लसोड़े की छाल का काढ़ा बनाकर मुंह में कुल्ला करने से दांतों के दर्द और मसूड़ों की सूजन में राहत मिलती है। यह घरेलू नुस्खा पुराने समय से दादी-नानी के नुस्खों में शामिल रहा है। अगर मुंह में छाले या मसूड़ों से खून आने की समस्या हो, तो यह काढ़ा बहुत प्रभावशाली साबित हो सकता है। साथ ही, इसमें मौजूद एंटीसेप्टिक तत्व मुंह की दुर्गंध को भी दूर करते हैं।
सफेद बालों को काला करने में कैसे मदद करता है लसोड़ा
अगर बाल समय से पहले सफेद हो रहे हैं, तो लसोड़े के फलों से बना पेस्ट या रस बालों पर लगाने से प्राकृतिक काला रंग वापस आने में मदद मिलती है। यह बालों की जड़ों को पोषण देता है और स्कैल्प में रक्तसंचार बेहतर बनाता है, जिससे सफेद बालों की समस्या धीरे-धीरे कम हो सकती है। इस उपाय को नियमित रूप से अपनाने पर बालों में मजबूती और चमक दोनों आती है।
चिलबिल: एक और चमत्कारी देसी पौधा
चिलबिल या देसी पापड़ी के पत्ते और फल भी औषधीय दृष्टिकोण से बहुत उपयोगी माने जाते हैं। चिलबिल के पत्तों का रस निकालकर शहद के साथ सेवन करने से पेट दर्द, कब्ज और अपच जैसी समस्याओं में आराम मिलता है। इसके अलावा, इसके पत्तों का पेस्ट जोड़ दर्द या सूजन वाली जगह पर लगाने से सूजन कम होती है। जिन लोगों को नाक या कान से बार-बार खून आने की शिकायत होती है, उनके लिए चिलबिल का फल बेहद फायदेमंद होता है।
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नीम: पुराना लेकिन आज भी प्रभावी समाधान
दांतों की मजबूती के लिए नीम की दातुन को सदियों से इस्तेमाल किया जाता रहा है। यह ना सिर्फ दांतों को मजबूत बनाती है, बल्कि मसूड़ों से खून आना और मुंह की बदबू जैसी समस्याओं को भी खत्म करती है। नीम की पत्तियों का रस त्वचा रोगों में भी असर दिखाता है और इम्यूनिटी को बढ़ाता है। इसका नियमित सेवन शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी मजबूत बनाता है।
प्राकृतिक इलाज अपनाने से पहले रखें सावधानी
हालांकि लसोड़ा, चिलबिल और नीम जैसे पौधों के कई लाभ हैं, लेकिन किसी भी घरेलू उपाय को अपनाने से पहले किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक से सलाह लेना जरूरी है। हर व्यक्ति का शरीर अलग होता है और इन उपायों का प्रभाव भी वैसा ही हो सकता है। विशेषकर अगर आप किसी दवाई का सेवन कर रहे हैं या किसी क्रॉनिक बीमारी से जूझ रहे हैं, तो आयुर्वेदिक सलाह जरूरी है।
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