
Human Metapneumovirus (HMPV) एक श्वसन तंत्र को प्रभावित करने वाला वायरल संक्रमण है, जो देखने में आम सर्दी-जुकाम जैसा लग सकता है, लेकिन इसके प्रभाव कई बार काफी गंभीर हो सकते हैं। यह वायरस Pneumoviridae परिवार से संबंधित है, जो कि Respiratory Syncytial Virus (RSV) के समान ही व्यवहार करता है। HMPV पहली बार 2001 में नीदरलैंड्स में खोजा गया था, लेकिन बीते वर्षों में इसके मामले दुनियाभर में खासतौर पर बदलते मौसम—सर्दी और वसंत के दौरान—तेजी से सामने आए हैं। इस वायरस का असर बच्चों, बुजुर्गों और कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले लोगों पर ज़्यादा गंभीर हो सकता है।
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HMPV के लक्षण
Human Metapneumovirus से संक्रमित व्यक्ति में शुरूआत में लक्षण बिल्कुल सामान्य सर्दी-जुकाम जैसे ही दिखाई देते हैं। इसमें खांसी, गले में खराश, नाक बहना या बंद होना, हल्का बुखार, सिरदर्द और बदन दर्द प्रमुख होते हैं। कई बार मरीज इन्हें वायरल फ्लू या एलर्जी समझकर नजरअंदाज कर देता है। लेकिन यदि यह वायरस फेफड़ों तक पहुंच जाए तो स्थिति बिगड़ सकती है। गंभीर मामलों में यह ब्रोंकियोलाइटिस, ब्रोंकाइटिस, निमोनिया और यहां तक कि सांस लेने में तकलीफ जैसे जटिल लक्षण पैदा कर सकता है। कमजोर इम्यून सिस्टम वाले व्यक्ति जल्दी इसकी चपेट में आ सकते हैं और उन्हें हॉस्पिटल में एडमिट तक कराना पड़ सकता है।
किन लोगों को होता है HMPV का अधिक खतरा
HMPV से संक्रमित होने की आशंका हर किसी को हो सकती है, लेकिन कुछ वर्ग ऐसे हैं जिन्हें यह वायरस अधिक गंभीर रूप से प्रभावित करता है। 5 वर्ष से कम उम्र के छोटे बच्चे, 65 वर्ष से अधिक आयु के बुजुर्ग, और वे लोग जिनकी प्रतिरक्षा प्रणाली पहले से ही किसी कारणवश कमजोर है—जैसे कि कैंसर के मरीज, HIV पॉजिटिव व्यक्ति या अंग प्रत्यारोपण से गुज़रे लोग—उनके लिए यह वायरस काफी जोखिमपूर्ण हो सकता है। इसके अलावा, जिन्हें पहले से अस्थमा या क्रॉनिक ऑब्स्ट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (COPD) जैसी फेफड़ों की समस्या है, उनके लिए यह संक्रमण और भी गंभीर रूप ले सकता है।
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बचाव ही सबसे असरदार उपाय
अब तक HMPV के लिए कोई विशेष वैक्सीन उपलब्ध नहीं है और न ही इसका कोई प्रत्यक्ष एंटीवायरल इलाज। इसलिए इसका इलाज लक्षणों को नियंत्रित करने पर केंद्रित होता है। इसके लिए पर्याप्त आराम, तरल पदार्थों का सेवन, बुखार और दर्द के लिए पैरासिटामोल जैसी दवाओं का उपयोग किया जाता है। लेकिन इससे बचने का सबसे अच्छा तरीका है – प्रिवेंशन। हाथों को बार-बार साबुन और पानी से धोना, बीमार व्यक्ति से दूरी बनाए रखना, और भीड़-भाड़ वाले स्थानों में मास्क पहनना इसके प्रसार को रोकने में सहायक हो सकता है। साथ ही, इम्यून सिस्टम को मज़बूत रखने के लिए पौष्टिक आहार और पर्याप्त नींद लेना बेहद जरूरी है।
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