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पूरी नींद के बाद भी चिड़चिड़े उठते हैं? सोने से पहले अपनाएं ये एक ट्रिक और बदल जाएंगी सुबहें!

अगर 7-8 घंटे की नींद के बाद भी आप थके और चिढ़चिढ़े महसूस करते हैं, तो हो सकता है आपकी नींद पूरी नहीं बल्कि अधूरी हो! जानिए एक ऐसी आसान ट्रिक जो सोने से पहले अपनाने पर दे सकती है आपको सुकून भरी नींद और एनर्जेटिक सुबह।

By Divya Pawanr
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पूरी नींद के बाद भी चिड़चिड़े उठते हैं? सोने से पहले अपनाएं ये एक ट्रिक और बदल जाएंगी सुबहें!
पूरी नींद के बाद भी चिड़चिड़े उठते हैं? सोने से पहले अपनाएं ये एक ट्रिक और बदल जाएंगी सुबहें!

अगर आप भी रोजाना 7 से 8 घंटे की नींद लेने के बावजूद सुबह उठते ही थकान, चिड़चिड़ापन या कमजोरी महसूस करते हैं, तो इसका मतलब यह है कि आप साउंड स्लीप नहीं ले पा रहे हैं। भले ही आपकी नींद की मात्रा पूरी हो रही हो, लेकिन अगर गुणवत्ता खराब है, तो शरीर और मस्तिष्क को पूरी तरह से विश्राम नहीं मिल पाता। यह स्थिति आपकी मेंटल हेल्थ और फिजिकल वेलनेस दोनों पर असर डाल सकती है।

खराब स्लीप क्वालिटी का असर

नींद की गुणवत्ता अगर लगातार खराब बनी रहती है, तो इसका असर आपके शरीर के हर हिस्से पर नजर आने लगता है। सुबह उठते ही चिड़चिड़ापन, सिर भारी रहना, थकावट महसूस होना, आलस्य और कार्यक्षमता में गिरावट इसके आम लक्षण हैं। यह न केवल आपकी दिनचर्या को प्रभावित करता है, बल्कि लंबी अवधि में मेंटल हेल्थ डिसऑर्डर और इम्यून सिस्टम की कमजोरी जैसी गंभीर समस्याएं भी पैदा कर सकता है।

क्यों जरूरी है साउंड स्लीप?

एक अच्छी साउंड स्लीप का मतलब होता है नींद का ऐसा अनुभव जिसमें शरीर और दिमाग को पूरी तरह से विश्राम मिले और नींद का हर चक्र (Sleep Cycle) व्यवस्थित रूप से पूरा हो। जब आप साउंड स्लीप लेते हैं तो अगली सुबह आप तरोताजा, ऊर्जावान और शांत मन के साथ उठते हैं। इसके विपरीत, अगर यह नींद बार-बार टूटती है या दिमाग पूरी तरह से शांत नहीं हो पाता, तो चाहे नींद की अवधि पूरी भी क्यों न हो, आप थकान और तनाव के साथ जागते हैं।

कैसे करें नींद की गुणवत्ता में सुधार?

नींद की गुणवत्ता को बेहतर बनाने के लिए जरूरी है कि सोने से पहले एक खास प्रकार की मानसिक तैयारी की जाए। इसके लिए स्लीप मेडिटेशन यानी ध्यान का सहारा लिया जा सकता है। यह अभ्यास न केवल आपकी Sleep Quality को सुधारता है, बल्कि स्ट्रेस और एंग्जायटी को भी कम करता है।

स्लीप मेडिटेशन क्या है?

Sleep Meditation एक गाइडेड ध्यान प्रक्रिया होती है जिसे आप सोने से ठीक पहले बिस्तर पर लेटकर कर सकते हैं। इसके लिए आपको अपने कमरे की लाइट बंद कर देनी चाहिए, ताकि एक शांत और अंधकारमय वातावरण बन सके। इसके बाद अपने फोन या स्पीकर पर कोई भी शांत, रिलैक्सिंग या Spiritual Music चलाएं। अब अपनी आंखें बंद कर केवल अपनी सांसों पर ध्यान केंद्रित करें। धीरे-धीरे आपकी सांसों की गति धीमी होने लगेगी और दिमाग शांत होने लगेगा। यहीं से शुरू होता है गहरी नींद की यात्रा।

स्लीप मेडिटेशन के फायदे

स्लीप मेडिटेशन के अनेक फायदे हैं। यह न केवल दिमाग को शांत करता है बल्कि शरीर को भी गहरे विश्राम की स्थिति में ले जाता है। इससे स्ट्रेस हार्मोन कॉर्टिसोल का स्तर घटता है और दिमाग अल्फा वेव्स उत्पन्न करता है जो आपको गहरी नींद में ले जाते हैं। यह ध्यान विधि गट हेल्थ (आंतों की सेहत) को भी सकारात्मक रूप से प्रभावित करती है, क्योंकि जब आप रिलैक्स होते हैं तो पाचन प्रक्रिया बेहतर होती है।

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इसके अलावा, स्लीप मेडिटेशन आपके मूड, एनर्जी लेवल और फोकस को भी बेहतर बनाता है। रोजाना सोने से पहले यह अभ्यास करने से आप हर सुबह तरोताजा महसूस करेंगे और दिन भर ऊर्जा से भरपूर रहेंगे।

मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर पड़ता है सकारात्मक प्रभाव

स्लीप मेडिटेशन का अभ्यास न केवल नींद की गुणवत्ता को बढ़ाता है, बल्कि यह आपकी Mental Wellness में भी सहायता करता है। यह आपको Anxiety, Depression और Insomnia जैसी समस्याओं से राहत देने में कारगर हो सकता है। यह विधि विशेष रूप से उन लोगों के लिए फायदेमंद है जो नींद के दौरान बार-बार उठते हैं या जिन्हें गहरी नींद नहीं आती।

स्लीप मेडिटेशन कैसे बनाएं आदत?

अगर आप सोच रहे हैं कि यह आदत कैसे विकसित करें, तो सबसे पहले इसे अपनी दिनचर्या का हिस्सा बनाएं। हर रात एक निश्चित समय पर सोने की कोशिश करें और सोने से 10-15 मिनट पहले स्लीप मेडिटेशन जरूर करें। एक शांत वातावरण, धीमी सांसें और ध्यान – ये तीन चीजें आपकी नींद को बदल सकती हैं।

डॉक्टर से सलाह लेना जरूरी

हालांकि स्लीप मेडिटेशन एक बेहद असरदार तकनीक है, लेकिन अगर आपकी समस्या बहुत लंबे समय से बनी हुई है और इसके साथ सिरदर्द, नींद से अचानक जागना या नींद के दौरान पसीना आना जैसी समस्याएं हैं, तो आपको तुरंत किसी विशेषज्ञ डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। कभी-कभी ये लक्षण किसी गंभीर नींद विकार (Sleep Disorder) का संकेत भी हो सकते हैं।

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