
हमारे दांतों की सेहत का सीधा असर हमारी जीवनशैली पर पड़ता है। कई लोग ठंडा-गर्म लगने की समस्या से परेशान रहते हैं, लेकिन महंगे इलाज और डेंटिस्ट के पास जाने के बिना भी इससे छुटकारा पाया जा सकता है। आज हम आपको एक ऐसा घरेलू उपाय बताने जा रहे हैं, जिससे आपकी यह समस्या जड़ से खत्म हो सकती है।
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कैसे होता है दांतों में ठंडा-गर्म लगने की समस्या?
दांतों की ऊपरी सतह पर इनेमल की परत होती है, जो उन्हें बाहरी प्रभावों से बचाती है। जब यह परत कमजोर हो जाती है या घिस जाती है, तो अंदर मौजूद डेंटिन (Dentin) उजागर हो जाता है। इससे ठंडी या गर्म चीजें खाने-पीने पर झनझनाहट महसूस होती है। इसकी कई वजहें हो सकती हैं:
- अत्यधिक एसिडिक भोजन का सेवन
- दांतों की सफाई में लापरवाही
- हार्ड ब्रशिंग से इनेमल को नुकसान
- कैविटी या मसूड़ों की समस्याएं
- अत्यधिक मीठे पदार्थों का सेवन
घरेलू उपाय: सिर्फ एक चीज से पाएं राहत
इस समस्या से निजात पाने के लिए लौंग (Clove) का उपयोग बेहद कारगर साबित हो सकता है। लौंग में प्राकृतिक एंटीसेप्टिक और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं, जो दांतों की संवेदनशीलता को कम करने में मदद करते हैं।
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कैसे करें लौंग का इस्तेमाल?
- लौंग का तेल: एक रुई के फाहे पर दो-तीन बूंद लौंग का तेल डालें और प्रभावित हिस्से पर लगाएं। इसे 10-15 मिनट तक रहने दें और फिर कुल्ला कर लें।
- पिसी हुई लौंग: थोड़ा सा लौंग पाउडर लेकर प्रभावित दांत पर लगाएं और कुछ मिनट तक छोड़ दें।
- लौंग को चबाना: यदि तेल या पाउडर उपलब्ध नहीं है, तो एक साबुत लौंग को धीरे-धीरे चबाएं। इससे दांतों की झनझनाहट कम होगी।
लौंग के अन्य फायदे
- यह बैक्टीरिया को खत्म करता है और दांतों को सड़ने से बचाता है।
- मसूड़ों की सूजन और दर्द को कम करता है।
- सांस की बदबू को दूर करता है।
अन्य प्राकृतिक उपाय जो ठंडा-गर्म की समस्या में फायदेमंद
- नमक और गुनगुने पानी से कुल्ला: यह मसूड़ों को मजबूत बनाता है।
- सरसों का तेल और नमक: इसे हल्के हाथों से मसूड़ों पर लगाने से दांत मजबूत होते हैं।
- एलोवेरा जेल: इसमें मौजूद एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण दांतों की संवेदनशीलता को कम करते हैं।
- हल्दी: इसका एंटी-बैक्टीरियल प्रभाव दांतों और मसूड़ों के लिए फायदेमंद होता है।
क्या न करें?
- बहुत अधिक मीठा और एसिडिक खाना न खाएं।
- बहुत ठंडा या बहुत गर्म भोजन करने से बचें।
- हार्ड ब्रशिंग न करें, इससे इनेमल कमजोर हो सकता है।
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