News

Sarai Act Mystery: होटल में टॉयलेट इस्तेमाल करने से कोई नहीं रोक सकता, 158 साल पुराने कानून देता है अधिकार

क्या आपने कभी होटल में टॉयलेट मांगते हुए मुँह की खाई है? अब नहीं! सराय एक्ट-1867 आपको देता है अधिकार कि आप किसी भी होटल या गेस्ट हाउस में जाएं और निःसंकोच टॉयलेट और पानी की सुविधा लें — जानिए कैसे करें इसका इस्तेमाल अपने हक में!

By Divya Pawanr
Published on

भारत में एक ऐसा कानून आज भी प्रभावी है जो आम नागरिकों को होटल, लॉज या गेस्ट हाउस में मुफ्त में पानी पीने और शौचालय उपयोग करने का अधिकार देता है। सराय एक्ट-1867 (Sarai Act-1867) नामक यह कानून आज से करीब 158 साल पहले बना था, लेकिन इसकी वैधता अब भी बनी हुई है। आज भी हमारे देश में बहुत से लोग ऐसे हैं जिन्हे अपने कानूनी अधिकारों की जानकारी नहीं होती, जिससे उन्हें कई बार परेशानियों का सामना करना पड़ता है। यह एक्ट भी आमजन को दिया जाने वाला वह अधिकार है जिसके बारे में सबको पता होना बेहद ही जरुरी है।

इस पुराने कानून को लेकर इन दिनों सोशल मीडिया पर खासा चर्चा हो रही है। बहुत से लोग यह जानकर चौंक गए कि यदि कोई व्यक्ति किसी होटल या गेस्ट हाउस में सिर्फ शौचालय का उपयोग करना चाहता है, तो मालिक उसे मना नहीं कर सकता। भले ही वह व्यक्ति वहाँ ग्राहक न हो, लेकिन यह कानून उसे यह बुनियादी सुविधा लेने का अधिकार देता है, तो चलिए जानते हैं इस कानून की संक्षिप्त जानकारी।

यह भी देखें: किसानों के लिए खुशखबरी, इस दिन भारत में दस्तक देगा मानसून! Monsoon Dates in india

सराय एक्ट-1867 क्या है और क्यों बना?

सराय एक्ट-1867 ब्रिटिश शासन के दौरान पारित किया गया था। इस कानून का उद्देश्य यात्रियों की सुविधा सुनिश्चित करना था, ताकि सफर के दौरान उन्हें रुकने, पानी पीने और स्वच्छता जैसी मूलभूत जरूरतों के लिए दिक्कत न हो। सराय शब्द का उपयोग उस समय यात्रियों के ठहरने के लिए बनाए गए भवनों के लिए किया जाता था, लेकिन समय के साथ इसका दायरा बढ़ा और अब यह होटल, लॉज और गेस्ट हाउस को भी कवर करता है।

इस कानून के अंतर्गत, यदि कोई भवन आम जनता के ठहरने के लिए उपयोग में लाया जाता है, तो उसे सराय के रूप में पंजीकृत होना चाहिए। साथ ही, इसके संचालक को कुछ बुनियादी सुविधाएं जैसे पानी, टॉयलेट और स्वच्छता बनाकर रखनी होती है।

टॉयलेट और पानी उपयोग पर क्या कहता है कानून?

सराय एक्ट की धारा 7(2) के अनुसार, किसी भी सरकारी अधिकारी को निरीक्षण के लिए सराय में नि:शुल्क प्रवेश का अधिकार है। इस खंड की भाषा में यह स्पष्ट है कि सरकार आम लोगों के अधिकारों की रक्षा के लिए ऐसे भवनों में बुनियादी सुविधाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करती है।

हालांकि आम नागरिकों को लेकर इसमें स्पष्ट रूप से उल्लेख नहीं है, लेकिन कई वकीलों और कानूनी विशेषज्ञों का मानना है कि जब एक इमारत सार्वजनिक रूप से सराय के रूप में पंजीकृत है, और वह सरकार से लाइसेंस प्राप्त है, तो उसके मालिक को आम लोगों को पानी और शौचालय जैसी मूलभूत सुविधाओं से वंचित करने का अधिकार नहीं है।

आज की स्थिति में सराय एक्ट-1867 की वैधता

भले ही यह कानून 1867 में बना हो, लेकिन यह अब भी भारत के कई हिस्सों में लागू है। कानून आयोग की 248वीं रिपोर्ट में इसे रद्द करने की सिफारिश की गई थी, लेकिन जब तक इसे संसद में निरस्त नहीं किया जाता, तब तक यह पूरी तरह से वैध बना रहता है।

इसका अर्थ है कि जब तक सरकार कोई नया कानून नहीं लाती, तब तक कोई भी होटल या लॉज संचालक यह नहीं कह सकता कि उसके शौचालय या पानी की सुविधा केवल उसके ग्राहकों के लिए है। एक आम नागरिक इस कानून का हवाला देकर अधिकारपूर्वक इन सुविधाओं की मांग कर सकता है।

दिल्ली में शुरू की गई एक सराहनीय पहल

दिल्ली की दक्षिणी नगर निगम (SDMC) ने 2017 में एक विशेष पहल की थी, जिसके तहत सभी होटल और रेस्टोरेंट्स को निर्देश दिया गया कि वे महिलाओं और बच्चों के लिए टॉयलेट सार्वजनिक रूप से उपलब्ध कराएं। इस कदम का उद्देश्य स्वच्छ भारत अभियान को प्रोत्साहन देना था। इस पहल को जनता ने सकारात्मक रूप से लिया और कई जगह इसका पालन किया गया।

यह भी देखें: China Solar Ban: चीन की कंपनियों पर भारत का तगड़ा वार, 5 साल की लगी रोक, शेयर बाजार ने मचाया तूफान!

सराई एक्ट के आमजनता को होने वाले फायदे

सराय एक्ट, 1867 (Sarai Act, 1867) एक ऐतिहासिक कानून है जो आज भी आम जनता के लिए कई व्यावहारिक और सामाजिक रूप से महत्वपूर्ण फायदे प्रदान करता है। इस कानून का मुख्य उद्देश्य मूलभूत सुविधाओं तक सार्वजनिक पहुंच सुनिश्चित करना है, खासकर यात्रियों और आम नागरिकों के लिए। नीचे विस्तार से बताया गया है कि आम जनता को इससे क्या-क्या लाभ मिलते हैं:

यह भी देखें Nuclear War Prophecy: बाबा वेंगा का दावा—भारत-पाक युद्ध तय?

Nuclear War Prophecy: बाबा वेंगा की भविष्यवाणी सच हुई तो बचेगा कौन? भारत-पाक युद्ध को लेकर डराने वाला दावा!

1. होटल या सराय में मुफ्त टॉयलेट इस्तेमाल का अधिकार

सराय एक्ट के तहत कोई भी व्यक्ति होटल, लॉज या गेस्ट हाउस में टॉयलेट का इस्तेमाल मुफ्त में कर सकता है, भले ही वह वहाँ रुका न हो। यह विशेष रूप से उन लोगों के लिए सहायक है जो सफर में होते हैं या जिनके आसपास सार्वजनिक शौचालय नहीं होते।

2. मुफ्त में पानी पीने की सुविधा

इस कानून के अनुसार, किसी होटल या सराय को आम नागरिक को पेयजल (Drinking Water) उपलब्ध कराने से मना करने का अधिकार नहीं है। गर्मी के मौसम या सफर के दौरान यह सुविधा जीवन रक्षक साबित हो सकती है।

3. महिलाओं और बच्चों के लिए विशेष रूप से सहायक

दिल्ली जैसे कई महानगरों में स्थानीय निकायों ने इस कानून के तहत सभी होटलों और रेस्टोरेंट्स को निर्देश दिया है कि वे महिलाओं और बच्चों के लिए टॉयलेट की सुविधा मुफ्त में उपलब्ध कराएं। इससे महिला सुरक्षा और स्वच्छता दोनों को बढ़ावा मिला है।

4. यात्रियों के लिए यात्रा में सहूलियत

सड़क यात्रा करने वाले यात्रियों, ड्राइवरों, डिलीवरी एजेंट्स और आम राहगीरों के लिए यह कानून बेहद फायदेमंद है क्योंकि उन्हें किसी भी होटल में रुकने की जरूरत नहीं होती, फिर भी वे शौचालय और पानी की सुविधा ले सकते हैं।

यदि होटल में मना किया जाए तो क्या करें?

यदि किसी होटल या गेस्ट हाउस का मालिक आपको पानी या टॉयलेट उपयोग करने से रोकता है, तो आप राष्ट्रीय उपभोक्ता हेल्पलाइन (National Consumer Helpline) पर शिकायत कर सकते हैं। इसका नंबर है 1800-11-4000। इसके अलावा आप जिला प्रशासन, उपभोक्ता फोरम या सोशल मीडिया के माध्यम से भी इस मुद्दे को उठाकर जागरूकता फैला सकते हैं।

टॉयलेट इस्तेमाल से रोकने पर होटल पर क्या कार्रवाई होगी?

सराय एक्ट, 1867 की धारा 8 के अनुसार, यदि कोई सराय (Hotel, Lodge, Guest House) अपने दायित्वों का पालन नहीं करती है—जैसे कि स्वच्छता बनाए रखना, पानी या शौचालय उपलब्ध न कराना—तो मजिस्ट्रेट द्वारा जुर्माना (Fine) लगाया जा सकता है।

  • यह जुर्माना ₹20 से ₹200 तक हो सकता है (हालाँकि यह राशि आज के हिसाब से बहुत कम है, लेकिन कानूनी प्रक्रिया अब भी मान्य है)।
  • बार-बार उल्लंघन करने पर सराय का पंजीकरण रद्द किया जा सकता है।

यह भी देखें: देश में पेट्रोल-डीजल की भारी किल्लत? वायरल खबर पर Indian Oil ने तोड़ी चुप्पी – जानिए सच्चाई!

यह भी देखें रेलवे स्टेशन के नाम पीले पर ही क्यों? जानिए साइंटिफिक वजह!

रेलवे स्टेशन के नाम हमेशा पीले रंग में ही क्यों लिखे जाते हैं? 90% लोग नहीं जानते इसका साइंटिफिक कारण!

Photo of author

Leave a Comment

हमारे Whatsaap ग्रुप से जुड़ें