
एलर्जी (Allergy) की गंभीर प्रतिक्रियाओं को समझने और उनकी सटीक पहचान करने में ट्रिप्टेस लेवल्स टेस्ट (Tryptase Levels Test) बेहद उपयोगी साबित होता है। जब शरीर किसी बाहरी एलर्जन से प्रतिक्रिया करता है, तो इम्यून सिस्टम में मौजूद मास्ट सेल्स (Mast Cells) सक्रिय हो जाते हैं और ट्रिप्टेस नामक एंज़ाइम रिलीज़ करते हैं। यही ट्रिप्टेस एलर्जिक रिएक्शन की गंभीरता को दर्शाता है। इस टेस्ट के ज़रिए डॉक्टर यह तय कर सकते हैं कि क्या कोई गंभीर एलर्जिक प्रतिक्रिया – जैसे एनेफिलेक्सिस (Anaphylaxis) – हुई है या नहीं।
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ट्रिप्टेस क्या है और शरीर में इसका काम क्या है
ट्रिप्टेस एक विशेष प्रकार का प्रोटीन होता है जिसे शरीर के मास्ट सेल्स बनाते हैं। ये सेल्स हमारे शरीर के इम्यून सिस्टम (Immune System) का अभिन्न हिस्सा होते हैं और बाहरी एलर्जन के संपर्क में आने पर तत्काल सक्रिय हो जाते हैं। ट्रिप्टेस के ज़रिए शरीर संक्रमण, एलर्जी या घातक प्रतिक्रियाओं से खुद को बचाने का प्रयास करता है। लेकिन जब यह प्रतिक्रिया अत्यधिक हो जाती है, तब यह जानलेवा भी हो सकती है – यहीं से ट्रिप्टेस लेवल्स का मापन ज़रूरी हो जाता है।
कब और क्यों कराना चाहिए ट्रिप्टेस लेवल्स टेस्ट
यह टेस्ट विशेष रूप से तब कराया जाता है जब किसी व्यक्ति को अचानक गंभीर एलर्जिक रिएक्शन हो, जैसे कि सांस रुकना, शरीर पर लाल चकत्ते, बेहोशी या सूजन। अगर डॉक्टर को संदेह हो कि यह प्रतिक्रिया एनेफिलेक्सिस (Anaphylaxis) हो सकती है, तो वे तुरंत ट्रिप्टेस टेस्ट की सलाह देते हैं। इसके अलावा, सिस्टेमिक मास्टोसाइटोसिस (Systemic Mastocytosis) और मास्ट सेल एक्टिवेशन सिंड्रोम (MCAS) जैसी दुर्लभ बीमारियों की जांच में भी यह टेस्ट अत्यंत उपयोगी है।
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नॉर्मल ट्रिप्टेस रेंज और परिणामों की व्याख्या
सामान्य परिस्थितियों में शरीर में ट्रिप्टेस का स्तर 11.4 ng/mL से कम होता है। यदि एलर्जिक रिएक्शन के दौरान यह स्तर 20 ng/mL या अधिक पाया जाए, तो यह मास्ट सेल्स की अत्यधिक एक्टिविटी को दर्शाता है। आमतौर पर ब्लड सैंपल एलर्जिक रिएक्शन के 1 से 3 घंटे के भीतर लिया जाता है, ताकि सबसे सटीक परिणाम मिल सकें। उसके बाद, एक बेसलाइन टेस्ट 24 घंटे बाद किया जाता है जिससे पता चले कि रिएक्शन के बिना व्यक्ति का ट्रिप्टेस लेवल क्या होता है।
क्या ट्रिप्टेस टेस्ट से एलर्जी की पुष्टि हो जाती है?
यह एक आम गलतफहमी है कि ट्रिप्टेस टेस्ट से एलर्जी की पहचान हो जाती है। असल में, यह टेस्ट केवल यह बताता है कि मास्ट सेल्स कितने सक्रिय हैं या थे। यदि किसी को एलर्जी किस चीज़ से है, यह जानना हो तो इसके लिए अलग से IgE टेस्ट, स्किन प्रिक टेस्ट या फूड/ड्रग चैलेंज टेस्ट किए जाते हैं। ट्रिप्टेस केवल एक मार्कर है, निदान नहीं।
इस टेस्ट का उपयोग किन बीमारियों में होता है
इस टेस्ट की सबसे अहम भूमिका सिस्टेमिक मास्टोसाइटोसिस के निदान में देखी जाती है, जहां ट्रिप्टेस लेवल लगातार बढ़ा हुआ होता है – अक्सर 20 ng/mL से ऊपर। वहीं, MCAS में ट्रिप्टेस अस्थायी रूप से बढ़ता है और लक्षण अधिक अस्थिर होते हैं। दोनों ही स्थितियों में एलर्जी जैसे लक्षण होते हैं, लेकिन ट्रिप्टेस पैटर्न उन्हें अलग करने में मदद करता है।
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