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Vitamin E Deficiency: कैसे पहचानें लक्षण, जानें त्वचा और सेहत पर पड़ने वाले असर

त्वचा की चमक कम हो रही है या बार-बार बीमार पड़ रहे हैं? कहीं यह Vitamin E की कमी तो नहीं! जानिए इस अहम पोषक तत्व के लक्षण, कारण और असरदार समाधान, जिन्हें जानना आपकी सेहत के लिए ज़रूरी है।

By Divya Pawanr
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Vitamin E Deficiency यानी शरीर में विटामिन ई की कमी, एक ऐसी स्थिति है जो धीरे-धीरे शरीर की कई क्रियाओं को प्रभावित करती है। विटामिन ई एक शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट है, जो कोशिकाओं को फ्री रेडिकल्स से बचाता है। इसकी कमी से त्वचा, मांसपेशियों, दृष्टि और प्रतिरक्षा प्रणाली पर नकारात्मक असर पड़ता है। इस लेख में हम विस्तार से जानेंगे कि कैसे इस कमी को पहचाना जाए और समय रहते इससे बचा जाए।

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त्वचा पर Vitamin E Deficiency के प्रभाव

विटामिन ई की कमी सबसे पहले त्वचा पर असर डालती है। जब शरीर में इसकी मात्रा घट जाती है, तो त्वचा अपनी प्राकृतिक नमी खोने लगती है। इसका परिणाम होता है रूखापन, जलन, और कभी-कभी परतदार त्वचा। कई मामलों में एक्जिमा या डर्मेटाइटिस जैसी स्थितियां भी विकसित हो जाती हैं। विटामिन ई की एंटीऑक्सीडेंट क्षमता त्वचा को ऑक्सीडेटिव डैमेज से बचाने में मदद करती है, जिसकी कमी त्वचा की उम्र बढ़ने की प्रक्रिया को तेज कर सकती है।

सेहत पर विटामिन ई की कमी के असर

Vitamin E Deficiency केवल त्वचा तक सीमित नहीं रहती। मांसपेशियों की कमजोरी, शरीर के संतुलन में गड़बड़ी, अंगों में झुनझुनी या सुन्नता, और आंखों की रोशनी में गिरावट इसके आम लक्षण हैं। इसके अलावा यह प्रतिरक्षा प्रणाली को कमजोर कर देता है, जिससे शरीर बार-बार संक्रमण की चपेट में आता है। यह कमी यदि लंबे समय तक बनी रहे तो न्यूरोलॉजिकल समस्याएं भी उत्पन्न हो सकती हैं।

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Vitamin E की कमी के पीछे छिपे कारण

Vitamin e एक फैट-सॉल्युबल विटामिन है, इसलिए इसके अवशोषण के लिए शरीर में वसा का होना आवश्यक होता है। जब शरीर वसा को पचाने या अवशोषित करने में असमर्थ होता है—जैसे कि क्रोन की बीमारी, सिस्टिक फाइब्रोसिस, या क्रॉनिक पैंक्रियाटाइटिस जैसी स्थितियों में—तब विटामिन ई की कमी हो सकती है। इसके अलावा, कुछ दुर्लभ जेनेटिक विकार भी इसके लिए जिम्मेदार हो सकते हैं, जो शरीर में विटामिन ई के उचित वितरण को बाधित करते हैं।

उपचार और बचाव के व्यावहारिक उपाय

Vitamin E Deficiency का इलाज इसके कारण पर निर्भर करता है। आम तौर पर डॉक्टर विटामिन ई सप्लिमेंट्स की सलाह देते हैं, खासकर जब यह कमी किसी चिकित्सकीय स्थिति के कारण हो। वहीं, सामान्य परिस्थितियों में विटामिन ई से भरपूर आहार जैसे सूरजमुखी के बीज, बादाम, पालक और एवोकाडो का सेवन काफी लाभकारी होता है। गंभीर मामलों में उच्च खुराक में सप्लिमेंट्स की जरूरत पड़ सकती है, जो चिकित्सकीय सलाह के तहत ली जानी चाहिए।

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