
गर्मियों का मौसम दस्तक दे चुका है और तापमान कई इलाकों में 40 डिग्री सेल्सियस के पार पहुंच गया है। ऐसे में शरीर को हाइड्रेट और ठंडा रखना बेहद जरूरी हो जाता है। हीट स्ट्रोक और डिहाइड्रेशन से बचने के लिए जो प्राकृतिक उपाय आजकल चर्चा में है, वो है बुरांश का जूस (Buransh Juice)। यह जूस न केवल ठंडक देने वाला है बल्कि इसके और भी कई स्वास्थ्य लाभ हैं, जिनके बारे में जानकर आप इसे अपनी डेली डाइट में शामिल करने से खुद को नहीं रोक पाएंगे।
बुरांश का फूल उत्तराखंड, हिमाचल और उत्तर भारत के पहाड़ी इलाकों में पाया जाता है। यह फूल अपने औषधीय गुणों के लिए जाना जाता है और इसका जूस गर्मियों में किसी रामबाण से कम नहीं है। हेल्थ एक्सपर्ट्स और आयुर्वेदाचार्यों की मानें तो बुरांश का जूस पीने से शरीर को न केवल ताजगी मिलती है बल्कि इम्यून सिस्टम भी मजबूत होता है।
इम्यूनिटी को बनाता है मजबूत
Buransh Juice में प्रचुर मात्रा में विटामिन C पाया जाता है, जो शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता यानी इम्यूनिटी को बूस्ट करता है। इसका नियमित सेवन शरीर को ऊर्जावान बनाए रखता है, त्वचा को चमकदार बनाता है और बालों को भी घना व मजबूत बनाता है।
गर्मी और लू से करता है सुरक्षा
गर्मियों में जब तापमान चरम पर होता है, तब Buransh Juice एक नैचुरल कूलिंग एजेंट के रूप में कार्य करता है। यह शरीर के अंदरूनी तापमान को नियंत्रित करता है और लू से बचाव करता है। इसका सेवन करने पर शरीर का तापमान संतुलित रहता है और व्यक्ति एक्टिव महसूस करता है।
डिटॉक्स करता है शरीर
बुरांश का जूस शरीर से टॉक्सिन्स को बाहर निकालने में बेहद असरदार होता है। यह शरीर को डिटॉक्सिफाई करता है, जिससे पाचन शक्ति बेहतर होती है और पेट संबंधी समस्याएं भी कम होती हैं। यह जूस मेटाबोलिज्म को बढ़ावा देता है और वजन को नियंत्रित करने में भी मददगार है।
हृदय के लिए है लाभकारी
Buransh Juice ब्लड प्रेशर और कोलेस्ट्रॉल के स्तर को संतुलित बनाए रखता है। इसके सेवन से हृदय स्वस्थ रहता है और हार्ट अटैक की संभावना भी कम हो जाती है। जिन लोगों को हाई बीपी की समस्या है, उनके लिए यह जूस एक नेचुरल विकल्प हो सकता है।
घर पर कैसे बनाएं बुरांश का जूस
इसका जूस घर पर बनाना बेहद आसान है। एक कप बुरांश के फूल लें, उन्हें धोकर एक कप पानी में उबालें। जब पानी ठंडा हो जाए, उसमें एक चम्मच शहद मिलाएं। यह जूस तैयार है। इसे सिप करके धीरे-धीरे पीना चाहिए ताकि इसके औषधीय गुण अच्छे से शरीर में समाहित हो सकें।