एंग्जायटी-Anxiety यानी चिंता, भय और घबराहट की स्थिति, जो किसी भी इंसान को किसी भी समय अपनी चपेट में ले सकती है। यह एक सामान्य मानसिक अवस्था मानी जाती है लेकिन जब यह लंबे समय तक बनी रहे, तो यह गंभीर समस्या का रूप ले सकती है। मानसिक स्वास्थ्य से जुड़े मामलों में एंग्जायटी डिसऑर्डर-anxiety disorder को एक प्रमुख समस्या माना जाता है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, साल 2019 में करीब 301 मिलियन लोग इस मानसिक स्थिति से प्रभावित थे, जो कि पूरी दुनिया की आबादी का लगभग 4.05% है। कोविड-19 महामारी के पहले ही साल में एंग्जायटी और डिप्रेशन-Depression के मामलों में करीब 25% की बढ़ोतरी देखी गई, जो इस मानसिक स्वास्थ्य संकट की भयावहता को दर्शाता है।
एंग्जायटी-Anxiety में सांस की समस्या क्यों होती है?
एंग्जायटी की स्थिति में शारीरिक लक्षणों में सबसे आम है सांस लेने में दिक्कत। व्यक्ति को लगता है कि उसकी सांसें अटक रही हैं या वह पर्याप्त हवा नहीं ले पा रहा है। यह लक्षण इतना मजबूत हो सकता है कि कई बार लोग इसे हार्ट अटैक समझ बैठते हैं। लेकिन राहत की बात यह है कि इस स्थिति को Breathing Exercises की मदद से काफी हद तक नियंत्रित किया जा सकता है।
सांस की एक्सरसाइज से कैसे होता है फायदा?
सांस की एक्सरसाइज (Breathing Exercise) न सिर्फ शरीर को आराम देती है बल्कि मस्तिष्क को भी शांत करती है। इससे ऑक्सीजन का प्रवाह बेहतर होता है, जिससे तनाव हार्मोन Cortisol कम होता है और Parasympathetic Nervous System एक्टिव होता है। यही सिस्टम शरीर को रिलैक्स करता है और मानसिक संतुलन बनाए रखता है।
बॉक्स ब्रीदिंग: चार सेकंड की लय से मिलेगी राहत
बॉक्स ब्रीदिंग (Box Breathing) तकनीक में 4 सेकंड के लिए गहरी सांस लें, फिर 4 सेकंड के लिए उसे रोकें, इसके बाद 4 सेकंड में धीरे-धीरे सांस छोड़ें और फिर 4 सेकंड के लिए सांस रोके रखें। यह प्रक्रिया एक ‘शांत लय’ बनाती है, जो तंत्रिका तंत्र-Nervous System को नियंत्रित करती है। यह अभ्यास विशेष रूप से तब कारगर होता है जब व्यक्ति अचानक अत्यधिक चिंता या पैनिक अटैक का अनुभव कर रहा हो।
डायाफ्रामिक श्वास: पेट की गहराई से लें राहत
डायाफ्रामिक श्वास (Diaphragmatic Breathing) में व्यक्ति को आराम से लेटना या बैठना होता है। एक हाथ छाती पर और दूसरा पेट पर रखें। नाक से गहरी सांस लें और यह सुनिश्चित करें कि पेट छाती से अधिक ऊपर उठे। फिर होंठों को सिकोड़कर धीरे-धीरे सांस बाहर छोड़ें। यह तकनीक न केवल दिल की धड़कन को नियंत्रित करती है बल्कि Parasympathetic System को एक्टिव कर मानसिक शांति प्रदान करती है।
4-7-8 ब्रीदिंग: दिमाग को दें रिलैक्स का सिग्नल
4-7-8 Breathing तकनीक बेहद कारगर मानी जाती है। इसमें नाक से 4 सेकंड के लिए सांस लें, 7 सेकंड तक सांस को रोके रखें और फिर 8 सेकंड में धीरे-धीरे मुंह से सांस छोड़ें। इस प्रक्रिया से शरीर को यह सिग्नल मिलता है कि वह आराम की अवस्था में आ रहा है, जिससे तनाव और एंग्जायटी के स्तर में तेजी से कमी आती है।
अनुलोम विलोम: संतुलन का सूत्र
अनुलोम विलोम (Alternate Nostril Breathing) प्राचीन योग तकनीक है जिसमें बारी-बारी से एक नथुने से सांस ली और छोड़ी जाती है। अंगूठे और अनामिका का उपयोग कर एक नथुने को बंद करें और दूसरे से सांस लें। फिर नथुना बदलें और सांस छोड़ें। यह तकनीक मस्तिष्क के बाएं और दाएं हिस्सों को संतुलन प्रदान करती है, जिससे एकाग्रता बढ़ती है और मन शांत होता है।
पर्स्ड लिप ब्रीदिंग: सांस की गति को नियंत्रित करें
पर्स्ड लिप ब्रीदिंग (Pursed Lip Breathing) उन लोगों के लिए बहुत उपयोगी है जो सांस की तकलीफ से परेशान हैं। इसमें नाक से 2 सेकंड के लिए सांस ली जाती है और फिर होंठों को मोमबत्ती बुझाने की मुद्रा में रखकर 4 सेकंड तक सांस छोड़ी जाती है। यह तकनीक सांस की गति को धीमा करने में मदद करती है और फेफड़ों में हवा के फ्लो को बेहतर बनाती है।
नियमित अभ्यास से मिलेगा स्थायी लाभ
ये सभी Breathing Exercises यदि नियमित रूप से की जाएं तो न केवल एंग्जायटी-Anxiety बल्कि इससे संबंधित अन्य मानसिक और शारीरिक परेशानियों में भी लाभ मिलता है। साथ ही यह मन को स्थिर और एकाग्र बनाने में भी मदद करता है। विशेषज्ञों का मानना है कि रोजाना 15-20 मिनट इन एक्सरसाइज को देना भी आपकी मानसिक स्थिति में बड़ा बदलाव ला सकता है।