
थायरॉइड (Thyroid) एक सामान्य लेकिन जटिल समस्या है, जो हार्मोनल असंतुलन के कारण होती है। आयुर्वेद में इस समस्या से निपटने के लिए कई प्राकृतिक उपचार मौजूद हैं, जो शरीर के अंदरूनी संतुलन को बनाए रखते हैं। यदि आप भी थायरॉइड की समस्या से जूझ रहे हैं और प्राकृतिक उपायों की तलाश कर रहे हैं, तो यह लेख आपके लिए उपयोगी साबित हो सकता है।
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आयुर्वेदिक उपाय जो देंगे राहत

आयुर्वेद के अनुसार, थायरॉइड को नियंत्रित करने के लिए शरीर में वात, पित्त और कफ दोष का संतुलन बनाए रखना बेहद आवश्यक है। इसके लिए कुछ खास जड़ी-बूटियों और खान-पान में बदलाव की जरूरत होती है।
हरा धनिया एक प्राकृतिक उपाय है, जो थायरॉइड को नियंत्रित करने में सहायक हो सकता है। धनिया बीज को रातभर पानी में भिगोकर सुबह इसे उबालकर पीना लाभकारी होता है। यह नुस्खा थायरॉइड ग्रंथि को संतुलित करने में मदद करता है और हार्मोनल असंतुलन को दूर करता है।
तुलसी और एलोवेरा भी थायरॉइड ग्रंथि के सही कार्य में मदद कर सकते हैं। दो चम्मच तुलसी के रस में आधा चम्मच एलोवेरा जूस मिलाकर सेवन करने से लाभ मिल सकता है। यह मिश्रण थायरॉइड हार्मोन के स्तर को नियंत्रित करने में मददगार साबित होता है।
पौष्टिक आहार और जीवनशैली में सुधार

थायरॉइड (Thyroid) को नियंत्रित करने के लिए विटामिन ए से भरपूर आहार का सेवन फायदेमंद होता है। गाजर, पालक, अंडे और दूध जैसे खाद्य पदार्थ शरीर के लिए आवश्यक पोषक तत्व प्रदान करते हैं।
आयोडीन (Iodine) की कमी भी थायरॉइड समस्याओं का प्रमुख कारण हो सकती है। इसलिए अपने आहार में प्याज, लहसुन, टमाटर और आयोडीन युक्त नमक को शामिल करें।
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नियमित व्यायाम और योगासन, जैसे कपालभाति और अनुलोम-विलोम, थायरॉइड की समस्या को दूर करने में सहायक होते हैं। ये अभ्यास शरीर में रक्त संचार को बेहतर बनाते हैं और थायरॉइड ग्रंथि को सक्रिय रखते हैं।
नारियल पानी और हल्दी का सेवन

नारियल पानी प्राकृतिक रूप से हाइड्रेट करता है और थायरॉइड ग्रंथि को स्वस्थ बनाए रखता है। सप्ताह में कम से कम तीन बार इसका सेवन करना लाभकारी हो सकता है।
हल्दी में मौजूद कर्क्यूमिन तत्व थायरॉइड के लिए फायदेमंद होते हैं। हल्दी वाला दूध पीने से थायरॉइड हार्मोन संतुलित रहता है और सूजन कम होती है।
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