
प्रेग्नेंसी में चुकंदर (Beetroot) का सेवन गर्भवती महिलाओं के लिए अत्यंत लाभकारी माना गया है। यह एक प्राकृतिक सुपरफूड है जो ना सिर्फ माँ के स्वास्थ्य को बेहतर बनाता है, बल्कि शिशु के संपूर्ण विकास में भी सहयोगी होता है। इसमें मौजूद आवश्यक पोषक तत्व जैसे आयरन, फोलिक एसिड, फाइबर और नाइट्रेट्स गर्भकाल में शरीर की जरूरतों को पूरा करते हैं और कई स्वास्थ्य समस्याओं से भी सुरक्षा प्रदान करते हैं।
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हीमोग्लोबिन बढ़ाने में मददगार

गर्भावस्था के दौरान एनीमिया एक आम समस्या है, जिसे चुकंदर के सेवन से नियंत्रित किया जा सकता है। इसमें मौजूद आयरन हीमोग्लोबिन के स्तर को बनाए रखता है और थकान, चक्कर और कमजोरी जैसी शिकायतों को कम करता है। इसका नियमित सेवन शरीर में रक्त निर्माण को बढ़ावा देता है।
फोलिक एसिड से भरपूर
चुकंदर में प्रचुर मात्रा में फोलिक एसिड होता है जो भ्रूण के मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी के विकास के लिए अनिवार्य है। फोलेट की पर्याप्त मात्रा गर्भावस्था के शुरुआती महीनों में विशेष रूप से आवश्यक होती है, क्योंकि यह न्यूरल ट्यूब डिफेक्ट्स जैसे स्पाइना बिफिडा जैसी समस्याओं से बचाने में मदद करता है।
पाचन क्रिया में सुधार

गर्भवती महिलाओं को अक्सर कब्ज और गैस की समस्या होती है। चुकंदर में मौजूद नैचुरल फाइबर आंतों की क्रियाशीलता को बेहतर बनाता है और पाचन को दुरुस्त रखता है। यह न सिर्फ मल त्याग को आसान करता है, बल्कि पेट से जुड़ी अन्य समस्याओं से भी राहत देता है।
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ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करना
प्रेग्नेंसी में ब्लड प्रेशर का असंतुलन एक गंभीर स्थिति उत्पन्न कर सकता है, जिससे प्रीक्लेम्पसिया जैसी स्थितियाँ पैदा हो सकती हैं। चुकंदर में पाए जाने वाले नाइट्रेट्स रक्त वाहिकाओं को चौड़ा कर ब्लड प्रेशर को नियंत्रित रखते हैं, जिससे रक्त संचार बेहतर होता है और माँ-बच्चे दोनों का स्वास्थ्य सुरक्षित रहता है।
शिशु के विकास के लिए संपूर्ण पोषण

चुकंदर में पाए जाने वाले विटामिन्स, मिनरल्स और एंटीऑक्सीडेंट्स भ्रूण के विकास में सहायक होते हैं। यह संपूर्ण पोषण प्रदान करता है जिससे शिशु का मानसिक और शारीरिक विकास समान रूप से हो सके। इसमें मौजूद बीटा-कैरोटीन और विटामिन C त्वचा और प्रतिरक्षा प्रणाली को भी मजबूत बनाते हैं।
संभावित सावधानियाँ
हालांकि चुकंदर अत्यंत फायदेमंद है, लेकिन इसका अत्यधिक सेवन कुछ समस्याओं को जन्म दे सकता है। कुछ महिलाओं को बीट्यूरिया (Beeturia) की शिकायत हो सकती है, जिसमें पेशाब या मल का रंग लाल हो जाता है। यह आमतौर पर नुकसानदायक नहीं होता, लेकिन यदि लंबे समय तक ऐसा हो तो डॉक्टर से परामर्श लेना जरूरी है।
यदि महिला को पहले से किडनी स्टोन की समस्या है, तो चुकंदर का सेवन सीमित करना चाहिए क्योंकि इसमें ऑक्सालेट्स की मात्रा अधिक होती है। इसके अलावा, नाइट्रेट्स की अधिकता से कुछ लोगों को थकावट या कमजोरी महसूस हो सकती है। अतः इसे संतुलित मात्रा में और डॉक्टर की सलाह के अनुसार ही लेना सर्वोत्तम रहता है।
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डाइट में शामिल करने के आसान उपाय
चुकंदर को डाइट में शामिल करना बेहद आसान है। इसे कच्चा या उबला हुआ सलाद में मिलाया जा सकता है। चाहें तो इसका जूस बनाकर खाली पेट लिया जा सकता है। स्मूदी, सूप या साइड डिश के रूप में भी यह स्वाद और पोषण का बेहतर विकल्प बनता है।