
जब बुखार के साथ स्किन पर रैशेज (skin rashes) दिखाई देने लगते हैं, तो यह शरीर में किसी गंभीर समस्या का संकेत हो सकता है। त्वचा पर रैशेज के साथ बुखार आना, वायरल या बैक्टीरियल संक्रमण, एलर्जी प्रतिक्रियाओं या अन्य स्वास्थ्य समस्याओं के कारण हो सकता है। इस लेख में हम इस समस्या के कारणों और इलाज के बारे में विस्तार से बात करेंगे।
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बुखार के साथ स्किन रैशेज के संभावित कारण
बुखार के साथ रैशेज की समस्या आमतौर पर वायरल या बैक्टीरियल संक्रमण के कारण होती है। खसरा (Measles), चिकनपॉक्स (Chickenpox) और रूबेला (Rubella) जैसी बीमारियाँ इस समस्या का कारण बन सकती हैं। इनमें से हर बीमारी के साथ बुखार के अलावा स्किन पर लाल या पानी से भरे चकत्ते निकलते हैं। इसके अलावा, कुछ एलर्जी प्रतिक्रियाएं जैसे खाद्य पदार्थ, दवाइयां या कीट के काटने भी बुखार और स्किन रैशेज का कारण बन सकती हैं। बैक्टीरियल संक्रमण जैसे इम्पेटिगो (Impetigo) भी बुखार और रैशेज के साथ होते हैं, जो आमतौर पर चेहरे और हाथों पर दिखाई देते हैं।
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बुखार के साथ रैशेज के इलाज के तरीके
बुखार के साथ स्किन रैशेज का इलाज उनकी वजह पर निर्भर करता है। यदि यह वायरल संक्रमण के कारण हैं, तो समय पर इलाज और हाइड्रेशन बहुत जरूरी है। पैरों को आराम देने, हल्का भोजन करने और ज्यादा पानी पीने से स्थिति में सुधार हो सकता है। डॉक्टर द्वारा दी गई दवाओं का सही समय पर सेवन करें और शरीर को आराम दें। बुखार को नियंत्रित करने के लिए पैरासिटामॉल जैसी दवाएं दी जा सकती हैं, जो बुखार को कम करती हैं।
यदि स्किन रैशेज बहुत अधिक खुजलीदार हैं, तो कैलामाइन लोशन या ऐंटीहिस्टामिन क्रीम का उपयोग किया जा सकता है। इन दवाओं से रैशेज को शांत करने में मदद मिलती है। इसके अलावा, हलके गर्म पानी से स्नान और संक्रमित हिस्सों पर ठंडी पट्टियां लगाने से भी आराम मिलता है। अगर रैशेज के साथ गंभीर लक्षण जैसे सांस की तकलीफ, तेज सिरदर्द, या उल्टी हो रही हो, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना जरूरी है।
कब दिखाएं डॉक्टर को?
यदि बुखार तीन दिन से ज्यादा बना रहे या रैशेज में बदलाव आए, तो डॉक्टर से तुरंत संपर्क करें। इसके अलावा, यदि शरीर के किसी हिस्से में सूजन, गंभीर खुजली, सांस लेने में कठिनाई या मिचली जैसी समस्याएं आ रही हैं, तो बिना देरी किए डॉक्टर से परामर्श लेना चाहिए। यह भी ध्यान रखें कि बच्चों और बुजुर्गों में रैशेज और बुखार की स्थिति को गंभीरता से लिया जाना चाहिए, क्योंकि इन वर्गों में संक्रमण जल्दी फैल सकता है और स्थिति बिगड़ सकती है।
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