
एज रिलेटेड मैक्यूलर डिजनरेशन (Age Related Macular Degeneration – AMD) बुजुर्गों में नजर कमजोर या विजन लॉस होने का एक आम कारण है। दुनियाभर में 20 करोड़ से अधिक लोग इस समस्या से प्रभावित हैं, और विशेषज्ञों का अनुमान है कि साल 2040 तक यह संख्या 30 करोड़ से अधिक हो सकती है। यह बीमारी आंखों के मैक्युला (Macula) नामक हिस्से को प्रभावित करती है, जिससे दृश्य क्षमता कमजोर होती जाती है।
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एज रिलेटेड मैक्यूलर डिजनरेशन के कारण
यह रोग मुख्य रूप से उम्र बढ़ने के कारण होता है। आयुर्वेद के अनुसार, यह वात दोष से जुड़ा हुआ है, जिसमें रक्त और पित्त दोष भी शामिल हो सकते हैं। इसके अलावा, नई और कमजोर रक्त वाहिकाओं की वृद्धि (Neovascularisation) रक्त दोष का संकेत देती है, जबकि आंखों की सूजन पित्त दोष के कारण हो सकती है। आधुनिक चिकित्सा के अनुसार, इस रोग के प्रमुख कारणों में जेनेटिक फैक्टर, धूम्रपान, मोटापा, उच्च रक्तचाप और पोषण की कमी शामिल हैं।
Age Related Macular Degeneration के प्रकार
- सूखा एएमडी (Dry AMD): इस प्रकार में धीरे-धीरे दृष्टि कमजोर होती जाती है और मरीज को धुंधला दिखने लगता है। यह 80-90% मामलों में पाया जाता है।
- गीला एएमडी (Wet AMD): यह अधिक खतरनाक होता है, क्योंकि इसमें रेटिना के नीचे असामान्य रक्त वाहिकाएं बनने लगती हैं, जिससे तेजी से दृष्टिहीनता हो सकती है।
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आम लक्षण
- धुंधला या टेढ़ा-मेढ़ा दिखना
- चेहरों को पहचानने में कठिनाई
- आंखों के पास का काम करने के लिए अधिक रोशनी की जरूरत
- दृष्टि के सामने चमकदार रोशनी या भ्रमित करने वाले दृश्य दिखना
- सीधी रेखाएं मुड़ी हुई दिखाई देना
एज रिलेटेड मैक्यूलर डिजनरेशन के जोखिम कारक
- उम्र: 50 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों में यह समस्या अधिक पाई जाती है।
- जेनेटिक फैक्टर: यदि परिवार में किसी को यह बीमारी रही हो, तो अगली पीढ़ी में इसके होने की संभावना अधिक रहती है।
- धूम्रपान: धूम्रपान करने वाले लोगों में AMD का खतरा 2-3 गुना अधिक होता है।
- मोटापा और उच्च रक्तचाप: मोटापा और उच्च रक्तचाप के कारण रेटिना की रक्त वाहिकाएं प्रभावित हो सकती हैं।
एज रिलेटेड मैक्यूलर डिजनरेशन के लिए आयुर्वेदिक उपचार
- विरेचन: शरीर की अंदरूनी सफाई कर विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने की प्रक्रिया।
- नेत्रधारा: औषधीय काढ़े से आंखों की सफाई की जाती है।
- तर्पण: आंखों पर औषधीय घी से उपचार किया जाता है, जिससे दृष्टि की क्षमता बढ़ती है।
- थालम: सिर पर औषधीय पेस्ट लगाकर तेल डाला जाता है, जिससे आंखों की नसों को शक्ति मिलती है।
- तक्रधारा: शिरोधारा की तरह एक आयुर्वेदिक तरीका है लेकिन इसमें तेल की जगह छाछ का उपयोग होता है। यह तनाव और आंखों की सेहत के लिए फायदेमंद है।
- शिरोधारा: माथे पर औषधीय तेल या दूध गिराया जाता है, जिससे मानसिक तनाव कम होता है और आंखों की सेहत में सुधार आता है।
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